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पंचांग - सोमवार, अगस्त 3, 2020


सोमनाथ, काठियावाड़ (
 गुजरात)

    गुजरात प्रांत के काठियावाड़ क्षेत्र में समुद्र के किनारे सोमनाथ नामक विश्वप्रसिद्ध मंदिर में यह ज्योतिर्लिंग स्थापित है। पहले यह क्षेत्र प्रभासक्षेत्र के नाम से जाना जाता था। यहीं भगवान्‌ श्रीकृष्ण ने जरा नामक व्याध के बाण को निमित्त बनाकर अपनी लीला का संवरण किया था। यहां के ज्योतिर्लिंग की कथा का पुराणों में इस प्रकार से वर्णन है-

    दक्ष प्रजापति की सत्ताइस कन्याएं थीं। उन सभी का विवाह चंद्रदेव के साथ हुआ था। किंतु चंद्रमा का समस्त अनुराग व प्रेम उनमें से केवल रोहिणी के प्रति ही रहता था। उनके इस कृत्य से दक्ष प्रजापति की अन्य कन्याएं बहुत अप्रसन्न रहती थीं। उन्होंने अपनी यह व्यथा-कथा अपने पिता को सुनाई। दक्ष प्रजापति ने इसके लिए चंद्रदेव को अनेक प्रकार से समझाया।

    किंतु रोहिणी के वशीभूत उनके हृदय पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। अंततः दक्ष ने कुद्ध होकर उन्हें 'क्षयग्रस्त' हो जाने का शाप दे दिया। इस शाप के कारण चंद्रदेव तत्काल क्षयग्रस्त हो गए। उनके क्षयग्रस्त होते ही पृथ्वी पर सुधा-शीतलता वर्षण का उनका सारा कार्य रूक गया। चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। चंद्रमा भी बहुत दुखी और चिंतित थे।

    उनकी प्रार्थना सुनकर इंद्रादि देवता तथा वसिष्ठ आदि ऋषिगण उनके उद्धार के लिए पितामह ब्रह्माजी के पास गए। सारी बातों को सुनकर ब्रह्माजी ने कहा- 'चंद्रमा अपने शाप-विमोचन के लिए अन्य देवों के साथ पवित्र प्रभासक्षेत्र में जाकर मृत्युंजय भगवान्‌ शिव की आराधना करें। उनकी कृपा से अवश्य ही इनका शाप नष्ट हो जाएगा और ये रोगमक्त हो जाएंगे।

    उनके कथनानुसार चंद्रदेव ने मृत्युंजय भगवान्‌ की आराधना का सारा कार्य पूरा किया। उन्होंने घोर तपस्या करते हुए दस करोड़ बार मृत्युंजय मंत्र का जप किया। इससे प्रसन्न होकर मृत्युंजय-भगवान शिव ने उन्हें अमरत्व का वर प्रदान किया। उन्होंने कहा- 'चंद्रदेव! तुम शोक न करो। मेरे वर से तुम्हारा शाप-मोचन तो होगा ही, साथ ही साथ प्रजापति दक्ष के वचनों की रक्षा भी हो जाएगी।

    कृष्णपक्ष में प्रतिदिन तुम्हारी एक-एक कला क्षीण होगी, किंतु पुनः शुक्ल पक्ष में उसी क्रम से तुम्हारी एक-एक कला बढ़ जाया करेगी। इस प्रकार प्रत्येक पूर्णिमा को तुम्हें पूर्ण चंद्रत्व प्राप्त होता रहेगा।' चंद्रमा को मिलने वाले इस वरदान से सारे लोकों के प्राणी प्रसन्न हो उठे। सुधाकर चन्द्रदेव पुनः दसों दिशाओं में सुधा-वर्षण का कार्य पूर्ववत्‌ करने लगे।

    शाप मुक्त होकर चंद्रदेव ने अन्य देवताओं के साथ मिलकर मृत्युंजय भगवान्‌ से प्रार्थना की कि आप माता पार्वतीजी के साथ सदा के लिए प्राणों के उद्धारार्थ यहाँ निवास करें। भगवान्‌ शिव उनकी इस प्रार्थना को स्वीकार करके ज्योतर्लिंग के रूप में माता पार्वतीजी के साथ तभी से यहाँ रहने लगे।

    पावन प्रभासक्षेत्र में स्थित इस सोमनाथ-ज्योतिर्लिंग की महिमा महाभारत, श्रीमद्भागवत तथा स्कन्दपुराणादि में विस्तार से बताई गई है। चंद्रमा का एक नाम सोम भी है, उन्होंने भगवान्‌ शिव को ही अपना नाथ-स्वामी मानकर यहाँ तपस्या की थी।

    अतः इस ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ कहा जाता है इसके दर्शन, पूजन, आराधना से भक्तों के जन्म-जन्मांतर के सारे पाप और दुष्कृत्यु विनष्ट हो जाते हैं। वे भगवान्‌ शिव और माता पार्वती की अक्षय कृपा का पात्र बन जाते हैं। मोक्ष का मार्ग उनके लिए सहज ही सुलभ हो जाता है। उनके लौकिक-पारलौकिक सारे कृत्य स्वयमेव सफल हो जाते हैं।

    भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिम में अरब सागर के तट पर स्थित आदि ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ महादेव मंदिर की छटा ही निराली है। यह तीर्थस्थान देश के प्राचीनतम तीर्थस्थानों में से एक है और इसका उल्लेख स्कंदपुराणम, श्रीमद्‍भागवत गीता, शिवपुराणम आदि प्राचीन ग्रंथों में भी है। वहीं ऋग्वेद में भी सोमेश्वर महादेव की महिमा का उल्लेख है।

    यह लिंग शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। ऐतिहासिक सूत्रों के अनुसार आक्रमणकारियों ने इस मंदिर पर 6 बार आक्रमण किया। इसके बाद भी इस मंदिर का वर्तमान अस्तित्व इसके पुनर्निर्माण के प्रयास और सांप्रदायिक सद्‍भावना का ही परिचायक है। सातवीं बार यह मंदिर कैलाश महामेरु प्रसाद शैली में बनाया गया है। इसके निर्माण कार्य से सरदार वल्लभभाई पटेल भी जुड़े रह चुके हैं।

    यह मंदिर गर्भगृह, सभामंडप और नृत्यमंडप- तीन प्रमुख भागों में विभाजित है। इसका 150 फुट ऊंचा शिखर है। इसके शिखर पर स्थित कलश का भार दस टन है और इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है। इसके अबाधित समुद्री मार्ग- त्रिष्टांभ के विषय में ऐसा माना जाता है कि यह समुद्री मार्ग परोक्ष रूप से दक्षिणी ध्रुव में समाप्त होता है। यह हमारे प्राचीन ज्ञान व सूझबूझ का अद्‍भुत साक्ष्य माना जाता है। इस मंदिर का पुनर्निर्माण महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था।

धार्मिक महत्व- 

    पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार सोम नाम चंद्र का है, जो दक्ष के दामाद थे। एक बार उन्होंने दक्ष की आज्ञा की अवहेलना की, जिससे कुपित होकर दक्ष ने उन्हें श्राप दिया कि उनका प्रकाश दिन-प्रतिदिन धूमिल होता जाएगा। जब अन्य देवताओं ने दक्ष से उनका श्राप वापस लेने की बात कही तो उन्होंने कहा कि सरस्वती के मुहाने पर समुद्र में स्नान करने से श्राप के प्रकोप को रोका जा सकता है। सोम ने सरस्वती के मुहाने पर स्थित अरब सागर में स्नान करके भगवान शिव की आराधना की। प्रभु शिव यहां पर अवतरित हुए और उनका उद्धार किया व सोमनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुए।

कैसे पहुंचें?

    वायु मार्ग- सोमनाथ से 55 किलोमीटर स्थित केशोड नामक स्थान से सीधे मुंबई के लिए वायुसेवा है। केशोड और सोमनाथ के बीच बस व टैक्सी सेवा भी है।

    रेल मार्ग- सोमनाथ के सबसे समीप वेरावल रेलवे स्टेशन है, जो वहां से मात्र सात किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहाँ से अहमदाबाद व गुजरात के अन्य स्थानों का सीधा संपर्क है।

    सड़क परिवहन- सोमनाथ वेरावल से 7 किलोमीटर, मुंबई 889 किलोमीटर, अहमदाबाद 400 किलोमीटर, भावनगर 266 किलोमीटर, जूनागढ़ 85 और पोरबंदर से 122 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पूरे राज्य में इस स्थान के लिए बस सेवा उपलब्ध है।

    विश्रामशाला- इस स्थान पर तीर्थयात्रियों के लिए गेस्ट हाउस, विश्रामशाला व धर्मशाला की व्यवस्था है। साधारण व किफायती सेवाएं उपलब्ध हैं। वेरावल में भी रुकने की व्यवस्था है।

    





मेष - आपको महत्वपूर्ण दायित्व मिल सकते हैं। आपकी सलाह को लोग गम्भीरता से लेंगे। परिवार जनों के व्यवहार से प्रसन्न रहेंगे। घरेलू सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। आवश्यक कार्य समय पर पूरा कर पायेंगे।

वृषभ- दाम्पत्य सम्बन्ध में मधुरता रहेगी। सहकर्मियों का व्यवहार आपके प्रति बहुत अच्छा रहेगा। घर के बुजुर्ग लोगों से मतभेद होगा। सरकारी क्षेत्र से लाभ नहीं मिलेगा। ऑफिस के काम से यात्रा करनी पड़ सकती है।

मिथुन- चलते हुये कार्यों में अवरोध आने की आशंका रहेगी। स्वास्थ्य में कमजोरी आ सकती है। विवादास्पद विषयों में अपनी राय देने से बचें। जीवनसाथी के प्रति भावुक रहेंगे। पारिवारिक जीवन में कड़वाहट हो सकती है।

कर्क- कारोबार में नये प्रयोग कर सकते हैं। करियर और परिवार दोनों को समय देने का प्रयास करें। जॉब में आपकी मेहनत आज रंग लायेगी। अविवाहित लोगों के नये प्रेम प्रसंग शुरू हो सकते हैं। अपने शौक के लिये समय निकालेंगे।

सिंह - दिन आनन्ददायक रहने वाला है। कार्यक्षेत्र की परिस्थितियाँ आपके लिये अच्छी रहेंगी। जिम्मेदारियों से मुक्ति मिलेगी। जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है। मन में असन्तोष का भाव रहेगा। करियर की दृष्टि से समय उत्तम रहेगा।

कन्या - आसपास के लोगों का व्यवहार बुरा हो सकता है। महत्वाकांक्षाओं को सीमित करने का समय है। लोग आपके विचारों का विरोध कर सकते हैं। व्यापार में अचानक धन हानि होने की आशंका रहेगी। प्रियजन के स्वास्थ्य की चिन्ता रहेगी।

तुला -  महत्वपूर्ण मीटिंग्स में शामिल हो सकते हैं। क्रोध में आकर निर्णय लेने से बचें। मितव्ययी होकर धन खर्च करें। ऑफिस में आपका मन नहीं लगेगा। पुराने गलत फैसलों को लेकर मन में उदासी हो सकती है।

वृश्चिक - घर के लिये आवश्यक वस्तुओं की खरीदी कर सकते हैं। भाई-बहनों के साथ पुरानी यादें साझा करेंगे। परिवार का माहौल खुशनुमा रहेगा। आपकी प्रतिभा को लोग प्रोत्साहन देंगे। नये कार्यों की योजना बनाने के लिये दिन उत्तम है।

धनु - विद्यार्थी अपनी पढ़ाई को लेकर चिन्तित रहेंगे। फाइनेंस से जुड़े लोगों को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आपकी सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी आयेगी। नकारात्मक लोगों से दूर रहें। दाम्पत्य सम्बन्धों में शंका और मतभेद उत्पन्न हो सकते हैं।

मकर - व्यापार से अतिरिक्त आय होने के योग बन रहे हैं। किसी बड़ी कम्पनी से जॉब का ऑफर मिल सकता है। धार्मिक कार्यों में मन लगेगा। अपने सिद्धान्तों को लेकर अड़ियल न रहें। आपके व्यवहार में लचीलापन और विनम्रता रहेगी।

कुम्भ - जॉब में कुछ दबाव आ सकता है। पति-पत्नी एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें। आर्थिक मामलों को लेकर सजग रहें। स्वास्थ्य में थोड़ी ऊँच-नीच हो तो उसे हल्के में न लें। पुराने नकारात्मक अनुभव आपके वर्तमान को प्रभावित न करें इसका ध्यान रखें।

मीन - प्रेम सम्बन्ध को वैवाहिक स्वरूप देने की योजना बनायेंगे। बड़े भाई-बहनों की तरफ से कोई उपहार मिल सकता है। घर में सकारात्मक ऊर्जा व्याप्त रहेगी। कारोबार में कुछ धीमापन रहेगा। परिवार के वातावरण में सौहार्द बढ़ेगा।

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