गणेशोत्सव पर जानिए शुभ मुहूर्त नहीं तो हो जायेंगे नाराज, ये चीजें समर्पित करने से मिलती है सुख-समृद्धि


    भाई बन्धु, बीकानेर। गणेशोत्सव का त्योहार पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 22 अगस्त, शनिवार को मनाई जाएगी। इसी के साथ 10 दिवसीय गणोत्सोव की शुरुआत हो जाएगी। इसके बाद 1 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा। हर बार यह त्योहार पूरे धूमधाम के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस महामारी की वजह से सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे और सड़कों पर भी श्रद्धालुओं की भीड़ कम नजर आएगी।

यदि कोई भक्त श्री गणेश का श्रद्धा और भक्ति के साथ सिर्फ नाम भी ले लेता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। गणेशजी की विधिपूर्वक आराधना कर उनकी प्रिय वस्तुएं समर्पित करने से भक्तों को मनवांछित फल प्राप्त होता है। गणेशजी वैसे तो बहुत भोले माने जाते हैं लेकिन उनकी आराधना के दौरान भक्तों को कुछ सावधानियां बरतना चाहिए। गणपति बप्पा नाराज हो जाए, भक्तों को ऐसे काम बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

बाईं सूंड वाले गणेशजी की करें स्थापना -

    श्रीगणेश की पूजा में उनकी सूंड किस दिशा में है इसका भी बड़ा महत्व है। मान्यता है कि घर में बाईं सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करना चाहिए। इस तरह के गणेशजी की स्थापना करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं, जबकि दाईं सूंड वाले गणेशजी देरी से प्रसन्न होते हैं। इसलिए गृहस्थों को बाईं सूंड वाले गणेशजी की उपासना करना चाहिए।

प्रथम पूजनीय गणेश -

गणेशजी को प्रथम पूजनीय कहा जाता है, क्योंकि किसी भी शुभ कार्य में पहले श्रीगणेश की पूजा की जाती है। भक्तगण वैसे तो सालभर बप्पा की पूजा करते हैं, लेकिन बुधवार और चतुर्थी को गणपति की पूजा का विशेष महत्व है।

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त-

गणेशजी का जन्म दोपहर को हुआ था, इसलिए गणेश चतुर्थी की पूजा हमेशा दोपहर के मुहूर्त में की जाती है। चतुर्थी तिथी 21 अगस्त की रात 11.02 बजे से शुरू होकर 22 अगस्त को शाम 7.56 बजे तक रहेगी। गणेश चतुर्थी पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 10.46 से दोपहर 1.57 बजे तक रहेगा।

गणेशजी को समर्पित करना चाहिए ये चीजें -

मोदक - मोदक एक खास प्रकार की मिठाई है। यह गणेशजी को बहुत प्रिय है और इसका भोग लगाने से वे भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।

हरी दुर्वा - हरी दुर्वा घास गणेशजी को बहुत पसंद है। ऐसी मान्यता है कि हरी दुर्वा उनको शीतलता प्रदान करती है।

बूंदी के लड्डू - बूंदी के लड्डू भी गणेशजी को अतिप्रिय है। बूंदी के लड्डू का भोग लगाने से गणपतिजी अपने भक्तों को धन-समृद्धि का वरदान देते हैं।

श्रीफल - गणेशजी को फलों में श्रीफल बहुत पसंद है, इसलिए गजानन की आराधना में श्रीफल समर्पित किया जाता है।

सिंदूर - गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए सिंदूर का तिलक लगाया जाता है। गणपतिजी को सिंदूर का तिलक लगाने के बाद अपने माथे पर भी सिंदूर का तिलक लगाना चाहिए।

लाल फूल - श्रीगणेश को लाल फूल प्रिय है, इसलिए गणपति की पूजा के दौरान लाल फूल चढ़ाने का विधान है। मान्यता के अनुसार वे इससे जल्दी प्रसन्न होते हैं।

शमी की पत्ती - गणेश पूजा में शमी की पत्ती चढ़ाने से घर में धन एवं सुख की वृद्धि होती है।

व्रत के दौरान क्या खाएं और किन चीजों से करें परहेज -

गणेशोत्सव के दौरान कुछ लोग पूरे 10 दिनों तक व्रत भी रखते हैं, लेकिन अपनी सेहत का ध्यान नहीं रख पाने की वजह से उन्हें उल्टी, एसिडिटी और इनडाइजेशन की समस्या हो जाती है। व्रत के दौरान सुबह नाश्ते में मौसम्बी व संतरे का जूस पिएं या पपीता खाएं, इससे शरीर में दिनभर एनर्जी रहेगी। सुबह 7-8 के बीच हैवी फलाहार करें और रात को हल्का खाएं। व्रत में साबूदाने की खिचड़ी या आटे के हलवे की जगह कुट्टू का आटा, सिंघाड़े या राजगीरे के आटे की रोटी या पराठा खा सकते हैं। व्रत में तली हुई चीजें कम खाएं। इसके अलावा ज्यादा चाय या कॉफी पीने से बचें। व्रत के दौरान शुगर लेवल नीचे जाने या ब्लड प्रेशर कम होने की परेशानी हो सकती है, इसलिए थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाएं। यदि आपको क्रॉनिक किडनी डिजीज है तो सेंधा नमक खाने से बचें, क्योंकि पोटेशियम की वजह से यह नुकसानदायक हो सकता है।

ऐसे काम से गणेशजी हो जाएंगे नाराज -

गणेशजी की पीठ के दर्शन ना करें -

शास्त्रों के अनुसार श्रीगणेश के सबसे पहले दर्शन करने से सभी कार्य सिद्ध होते हैं और उनके शरीर पर ब्रह्माण्ड के सभी अंग निवास करते हैं, लेकिन शास्त्रों में गणेशजी की पीठ के दर्शन करने का निषेध बताया गया है। गणेशजी की पीठ में दरिद्रता का वास होता है, इसलिए गणपतिजी की पीठ के दर्शन नहीं करना चाहिए। यदि भूलवश पीठ के दर्शन हो गए हों तो गणेशजी से क्षमायाचना कर लेना चाहिए।

तुलसी का ना करे प्रयोग -

गणेशजी की पूजा में तुलसी दल का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। तुलसी के प्रयोग से श्रीगणेशज नाराज हो जाते हैं। मान्यता है कि तुलसीजी श्रीगणेश से विवाह करना चाहती थी गणेशजी के इंकार करने पर तुलसीजी ने गणेशजी को श्राप दे दिया था। गणेशजी की पूजा के साथ पत्नी रिद्धि और सिद्धि और पुत्र शुभ और लाभ की पूजा करना चाहिए। पूजास्थल पर चूहे को भी स्थान देने से गणेशजी भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।

पुरानी प्रतिमा को कर दें विसर्जित -

गणेश चतुर्थी को यदी घर में गणेश प्रतिमा की स्थापना कर रहे हैं तो पुरानी वाली प्रतिमा को विसर्जित कर दे। शास्त्रों के अनुसार घर में तीन गणेश प्रतिमा नहीं रखना चाहिए। ऐसी भी मान्यता है कि भाद्रपद मास की चतुर्थी को जिस प्रतिमा की स्थापना की जाती है उसका अनन्त चतुर्शी तक विसर्जन कर देना चाहिए।

10 दिवसीय उत्सव:- 

भाद्रमास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर यह उत्सव 10 दिन चलता है। गणेश चतुर्थी को गणपति बप्पा घर-घर विराजते हैं और अनंत चतुर्दशी को बप्पा की मूर्ति को विसर्जित किया जाता है। आजकल लोग अपनी क्षमता के अनुसार बप्पा को 2 या 3 दिनों की पूजा के बाद भी विदा करते हैं।

कैसे शुरुआत हुई गणेशोत्सव की -

पौराणिक कथाओं के अनुसार गणेश चतुर्थी को उत्सव के रूप में मनाना छत्रपति शिवाजी महाराज के कार्यकाल में शुरू हुआ था। उन्होंने लोगों के दिलों में देशभक्ति और संस्कृति को जीवित रखने के लिए इस त्योहार की शुरुआत की। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक ने लोगों को एकजुट करने के लिए इसे बड़े स्तर पर मनाना शुरू किया।

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा धूम -

गणेशोत्सव मनाया तो पूरे देश में जाता है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा माहौल महाराष्ट्र में देखने को मिलता है। मुंबई में कई स्थानों पर भव्य गणेश पंडाल स्थापित किए जाते हैं। 'लालबाग चा राजा' पंडाल की ख्याति दुनियाभर में फैली हुई है। इसकी शुरुआत 1934 में हुई थी।

फेसबुक पेज पर अपनी प्रतिक्रया कॉमेन्टस बॉक्स में अवश्य देंवे... 
समाज की 'भाई बन्धु' पत्रिका में न्यूज और धर्म लेख इत्यादि अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें।

Comments