पंचांग - मंगलवार, अगस्त 25, 2020
अयोध्या भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक अति प्राचीन धार्मिक नगर है। अथर्ववेद में अयोध्या को ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। अयोध्या को भगवान राम की नगरी कहा जाता है। मान्यता है कि यहां हनुमान जी सदैव वास करते हैं। इसलिए अयोध्या आकर भगवान राम के दर्शन से पहले भक्त हनुमान जी के दर्शन करते हैं।
यहां का सबसे प्रमुख श्री हनुमान मंदिर "हनुमानगढ़ी" के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। कहा जाता है कि हनुमान जी यहाँ एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। हनुमान जी को रहने के लिए यही स्थान दिया गया था। हनुमानगढ़ी जिसे हनुमान जी का घर भी कहा जाता है, यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। साथ ही ये अधिकार भी दिया कि जो भी भक्त मेरे दर्शनों के लिए अयोध्या आएगा उसे पहले तुम्हारा दर्शन पूजन करना होगा। जहां आज भी छोटी दीपावली के दिन आधी रात को संकटमोचन का जन्म दिवस मनाया जाता है। पवित्र नगरी अयोध्या में सरयू नदी में पाप धोने से पहले लोगों को भगवान हनुमान से आज्ञा लेनी होती है।
यह मंदिर अयोध्या में एक टीले पर स्थित होने के कारण मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। इसके बाद पवनपुत्र हनुमान की 6 इंच की प्रतिमा के दर्शन होते हैं,जो हमेशा फूल-मालाओं से सुशोभित रहती है। मुख्य मंदिर में बाल हनुमान के साथ अंजनी माता की प्रतिमा है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर परिसर में मां अंजनी व बाल हनुमान की मूर्ति है जिसमें हनुमान जी, अपनी मां अंजनी की गोदी में बालक रूप में लेटे है।
यहाँ स्त्री रूप में विराजमान है हनुमान जी, जिनकी पूजा से निःसंतान को मिलती है संतान- इस मन्दिर के निर्माण के पीछे की एक कहानी है। दसवीं शताब्दी के मध्य में सुल्तान मंसूर अली लखनऊ और फैजाबाद का प्रशासक था। एक बार सुल्तान मंसूर अली का एकमात्र पुत्र बीमार पड़ गया। प्राण बचने के आसार नहीं रहे, रात्रि की कालिमा गहराने के साथ ही उसकी नाडी उखड ने लगी तो सुल्तान ने थक हार कर आंजनेय के चरणों में माथा रख दिया। हनुमान ने अपने आराध्य को ध्याया और सुल्तान पुत्र की धड कनें प्रारम्भ हो गई। अपने इकलौते पुत्र के प्राणों की रक्षा होने पर अवध के नवाब मंसूर अली ने बजरंगबली के चरणों में माथा टेक दिया। जिसके बाद नवाब ने न केवल हनुमान गढ़ी मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया बल्कि तांम्रपत्र पर लिखकर ये घोषणा की कि कभी भी इस मंदिर पर किसी राजा या शासक का कोई अधिकार नहीं रहेगा और न ही यहां के चढ़ावे से कोई कर वसूल किया जाएगा, और 52बीघा भूमि हनुमान गढी व इमली वन के लिए उपलब्ध करवाई थी। अयोध्या के सशस्त्र निर्वाणी अणी (सेना) के महन्त अभय रामदास के नेतृत्व में 18वीं शताब्दी में नागा साधुओं ने हनुमान गढ़ी को मुसलमानों से मुक्त कराया । वे सिद्धयोगी भी थे।
इस हनुमान मंदिर के निर्माण के कोई स्पष्ट साक्ष्य तो नहीं मिलते हैं लेकिन कहते हैं कि अयोध्या न जाने कितनी बार बसी और उजड़ी, लेकिन फिर भी एक स्थान जो हमेशा अपने मूल रूप में रहा वो हनुमान टीला है जो आज हनुमान गढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है। लंका से विजय के प्रतीक रूप में लाए गए निशान भी इसी गढ़ी में रखे गए जो आज भी खास मौके पर बाहर निकाले जाते हैं और जगह-जगह पर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
मेष - सुख-सुविधाओं में बढ़ोत्तरी होगी। बॉस से आपको काफी मदद मिलेगी। विदेश में रह रहे लोगों से कोई अच्छी खबर मिल सकती है। अपनी जिम्मेदारियों का अच्छी तरह से पालन करेंगे। मैनेजमेंट से जुड़े लोगों के लिये दिन काफी अच्छा रहेगा।
वृषभ - रिश्तों के बीच गलतफहमियाँ हो सकती हैं। राजनीति से जुड़े लोगों पर सवाल उठ सकते हैं। स्वभाव में चिड़चिड़ापन रहेगा। किसी यात्रा की योजना बनेगी। धैर्यपूर्वक कार्यों को अंजाम दें। स्वास्थ्य काफी अच्छा रहेगा।
मिथुन - व्यापार में आपकी उन्नति होगी। आकस्मिक धन लाभ होने के योग बन रहे हैं। आपकी इच्छाशक्ति मजबूत होगी। किसी जरूरतमन्द व्यक्ति को धन देना पड़ सकता है। अपनी कार्ययोजना को गुप्त रखना आपके हित में होगा।
कर्क - शरीर में आलस्य की अधिकता रहेगी। विरोधियों से आपको सावधान रहना चाहिये। मन में नकारात्मक विचारों को न आने दें। पारिवारिक मामलों को लेकर अशान्त रहेंगे। रक्तचाप और शुगर के रोगियों की परेशानी बढ़ सकती है।
सिंह - अपने पुराने सपने को पूरा करने की कोशिश करेंगे। आपके रिश्तों में नयापन आयेगा। नौकरीपेशा लोगों को पुरस्कार मिल सकता है। आर्थिक चिन्ता दूर होगी। उधार का धन आज वापस मिलने के योग बन रहे हैं।
कन्या - समाज में आपका प्रभाव बढ़ेगा। कार्यक्षेत्र में नयी उपलब्धियों के मिलने के योग बन रहे हैं। बच्चों के भविष्य की चिन्ता रहेगी। आपके परिश्रम और प्रयास सार्थक सिद्ध होंगे। अपना संयम बनाकर रखें।
तुला - परिवार में विवाद हो सकता है। आपकी भावना आहत हो सकती है। अपने अधिकारों को लेकर सजग रहें। भाग्य आपका साथ देगा। हृदय रोगियों को थोड़ा सतर्क रहना चाहिये। मांगलिक कार्य की बाधा दूर होगी।
वृश्चिक - परिवार और करियर में असन्तुलन की स्थिति रहेगी। धैर्यवान होकर ही आज फैसलें लें। व्यवसायिक साझेदारों से सम्बन्ध बिगड़ सकते हैं। आपको आज यात्रा करने से बचना चाहिये। वाहन चलाते समय सावधानी रखनी होगी।
धनु - कोई मनोकामना पूरी हो सकती है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिन्ता रहेगी। व्यापारिक गतिविधियों में निवेश कर सकते हैं। पुरानी समस्याओं का हल ढूँढ लेंगे। धन आगमन होने से मन प्रसन्न रहेगा।
मकर - कार्यक्षेत्र में बदलाव होने के योग बन रहे हैं। प्रेमी जन से आपको प्रोत्साहन मिलेगा। कार्य में सफलता मिलने से हर्ष होगा। धार्मिक कार्यों में धन खर्च होगा। आपके प्रयासों का बेहतर परिणाम मिलेगा।
कुम्भ - रिश्तों में नयी शुरुआत हो सकती है। किसी पुराने शौक को पूरा करने की कोशिश करेंगे। विवादों से दूर रहने का प्रयास करें। घर में कोई पकवान बन सकता है। संयमित व्यवहार रखने का प्रयास करें।
मीन - पारिवारिक सदस्यों की चिन्ता रहेगी। शिक्षा में बाधा आने की आशंका है। कार्यों में परिश्रम ज्यादा करना पड़ेगा। ऊर्जा में कमी आ सकती है। जॉब में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनेगी। महत्वपूर्ण कार्यों में समस्या आयेगी।- ज्योतिषी प्रेमशंकर शर्मा, बीकानेर।
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यहां का सबसे प्रमुख श्री हनुमान मंदिर "हनुमानगढ़ी" के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। कहा जाता है कि हनुमान जी यहाँ एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। हनुमान जी को रहने के लिए यही स्थान दिया गया था। हनुमानगढ़ी जिसे हनुमान जी का घर भी कहा जाता है, यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है। साथ ही ये अधिकार भी दिया कि जो भी भक्त मेरे दर्शनों के लिए अयोध्या आएगा उसे पहले तुम्हारा दर्शन पूजन करना होगा। जहां आज भी छोटी दीपावली के दिन आधी रात को संकटमोचन का जन्म दिवस मनाया जाता है। पवित्र नगरी अयोध्या में सरयू नदी में पाप धोने से पहले लोगों को भगवान हनुमान से आज्ञा लेनी होती है।
यह मंदिर अयोध्या में एक टीले पर स्थित होने के कारण मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 76 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। इसके बाद पवनपुत्र हनुमान की 6 इंच की प्रतिमा के दर्शन होते हैं,जो हमेशा फूल-मालाओं से सुशोभित रहती है। मुख्य मंदिर में बाल हनुमान के साथ अंजनी माता की प्रतिमा है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में आने से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। मंदिर परिसर में मां अंजनी व बाल हनुमान की मूर्ति है जिसमें हनुमान जी, अपनी मां अंजनी की गोदी में बालक रूप में लेटे है।
यहाँ स्त्री रूप में विराजमान है हनुमान जी, जिनकी पूजा से निःसंतान को मिलती है संतान- इस मन्दिर के निर्माण के पीछे की एक कहानी है। दसवीं शताब्दी के मध्य में सुल्तान मंसूर अली लखनऊ और फैजाबाद का प्रशासक था। एक बार सुल्तान मंसूर अली का एकमात्र पुत्र बीमार पड़ गया। प्राण बचने के आसार नहीं रहे, रात्रि की कालिमा गहराने के साथ ही उसकी नाडी उखड ने लगी तो सुल्तान ने थक हार कर आंजनेय के चरणों में माथा रख दिया। हनुमान ने अपने आराध्य को ध्याया और सुल्तान पुत्र की धड कनें प्रारम्भ हो गई। अपने इकलौते पुत्र के प्राणों की रक्षा होने पर अवध के नवाब मंसूर अली ने बजरंगबली के चरणों में माथा टेक दिया। जिसके बाद नवाब ने न केवल हनुमान गढ़ी मंदिर का जीर्णोंद्धार कराया बल्कि तांम्रपत्र पर लिखकर ये घोषणा की कि कभी भी इस मंदिर पर किसी राजा या शासक का कोई अधिकार नहीं रहेगा और न ही यहां के चढ़ावे से कोई कर वसूल किया जाएगा, और 52बीघा भूमि हनुमान गढी व इमली वन के लिए उपलब्ध करवाई थी। अयोध्या के सशस्त्र निर्वाणी अणी (सेना) के महन्त अभय रामदास के नेतृत्व में 18वीं शताब्दी में नागा साधुओं ने हनुमान गढ़ी को मुसलमानों से मुक्त कराया । वे सिद्धयोगी भी थे।
इस हनुमान मंदिर के निर्माण के कोई स्पष्ट साक्ष्य तो नहीं मिलते हैं लेकिन कहते हैं कि अयोध्या न जाने कितनी बार बसी और उजड़ी, लेकिन फिर भी एक स्थान जो हमेशा अपने मूल रूप में रहा वो हनुमान टीला है जो आज हनुमान गढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है। लंका से विजय के प्रतीक रूप में लाए गए निशान भी इसी गढ़ी में रखे गए जो आज भी खास मौके पर बाहर निकाले जाते हैं और जगह-जगह पर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है।
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