श्री गणेश के जन्मदिन का शुभ अवसर करीब है। पूरे देश भर में श्री गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। श्रीगणेश माता पार्वती और शिवजी के बेटे हैं।
इनके जन्म को लेकर कई तरह की कथाएं हैं। वराहपुराण और शिवपुराण में विनायक के जन्म को लेकर अलग-अलग कथाएं हैं।
1. वराहपुराण के मुताबिक भगवान शिव ने गणेशजी को पचंतत्वों से बनाया है। जब भगवान शिव गणेश जी को बना रहे थे तो उन्होंने विशिष्ट और अत्यंत रुपवान रूप पाया। इसके बाद यह खबर देवताओं को मिली। देवताओं को जब गणेश के रूप और विशिष्टता के बारे में पता लगा तो उन्हें डर सताने लगा कि कहीं ये सबके आकर्षण का केंद्र ना बन जाए। इस डर को भगवान शिव भी भांप गए थे, जिसके बाद उन्होंने उनके पेट को बड़ा कर दिया और मुंह हाथी का लगा दिया।
2 . वहीं शिवपुराण में कथा इससे अलग है। इसके मुताबिक माता पार्वती ने अपने शरीर पर हल्दी लगाई थी, इसके बाद जब उन्होंने अपने शरीर से हल्दी उबटन उतारी तो उससे उन्होंने एक पुतला बना दिया। पुतले में बाद में उन्होंने प्राण डाल दिए। इस तरह से विनायक पैदा हुए थे। इसके बाद माता पार्वती ने गणेश को आदेश दिए कि तुम मेरे द्वार पर बैठ जाओ और उसकी रक्षा करो, किसी को भी अंदर नहीं आने देना।
कुछ समय बाद शिवजी घर आए तो उन्होंने कहा कि मुझे पार्वती से मिलना है। इस पर गणेश जी ने मना कर दिया। शिवजी को नहीं पता था कि ये कौन हैं। दोनों में विवाद हो गया और उस विवाद ने युद्ध का रूप धारण कर लिया। इस दौरान शिवजी ने अपना त्रिशूल निकाला और गणेश का सिर काट डाला।
पार्वती को पता लगा तो वह बाहर आईं और रोने लगीं। उन्होंने शिवजी से कहा कि आपने मेरे बेटा का सिर काट दिया। शिवजी ने पूछा कि ये तुम्हारा बेटा कैसे हो सकता है। इसके बाद पार्वती ने शिवजी को पूरी कथा बताई। शिवजी ने पार्वती को मनाते हुए कहा कि ठीक है मैं इसमें प्राण डाल देता हूं, लेकिन प्राण डालने के लिए एक सिर चाहिए। इस पर उन्होंने गरूड़ जी से कहा कि उत्तर दिशा में जाओ और वहां जो भी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ कर के सोई हो उस बच्चे का सिर ले आना। गरूड़ जी भटकते रहे पर उन्हें ऐसी कोई मां नहीं मिली क्योंकि हर मां अपने बच्चे की तरफ मुंह कर के सोती है। अंतत: एक हथिनी दिखाई दी। हथिनी का शरीर का प्रकार ऐसा होता हैं कि वह बच्चे की तरफ मुंह कर के नहीं सो सकती है। गरूड़ जी उस शिशु हाथी का सिर ले आए। भगवान शिवजी ने वह बालक के शरीर से जोड़ दिया। उसमें प्राणों का संचार कर दिया। उनका नामकरण कर दिया। इस तरह श्रीगणेश को हाथी का सिर लगा।
3. श्री गणेश चालीसा में वर्णित है कि माता पार्वती ने पुत्र प्राप्ति के लिए कठोर तप किया। इस तप से प्रसन्न होकर स्वयं श्री गणेश ब्राह्मण का रूप धर कर पहुंचे और उन्हें यह वरदान दिया कि मां आपको बिना गर्भ धारण किए ही दिव्य और बुद्धिमान पुत्र की प्राप्ति होगी। ऐसा कह कर वे अंतर्ध्यान हो गए और पालने में बालक के रूप में आ गए।
चारों लोक में हर्ष छा गया। भगवान शिव और पार्वती ने विशाल उत्सव रखा। हर तरफ से देवी, देवता, सुर, गंधर्व और ऋषि, मुनि देखने आने लगे। शनि महाराज भी देखने आए। माता पार्वती ने उनसे बालक को चलकर देखने और आशीष का आग्रह किया। शनि महाराज अपनी दृष्टि की वजह से बच्चे को देखने से बच रहे थे। माता पार्वती को बुरा लगा। उन्होंने शनिदेव को उलाहना दिया कि आपको यह उत्सव नहीं भाया, बालक का आगमन भी पसंद नहीं आया। शनि देव सकुचा कर बालक को देखने पहुंचे, लेकिन जैसे ही शनि की किंचित सी दृष्टि बालक पर पड़ी, बालक का सिर आकाश में उड़ गया। उत्सव का माहौल मातम में परिवर्तित हो गया। माता पार्वती विकल हो गई। चारों तरफ हाहाकार मच गया। तुंरत गरूड़ जी को चारों दिशा से उत्तम सिर लाने को कहा गया। गरूड़ जी हाथी का सिर लेकर आए। यह सिर शंकर जी ने बालक के शरीर से जोड़कर प्राण डाले। इस तरह गणेश जी का सिर हाथी का हुआ।
मेष - किसी आवश्यक काम को पूरा कर लेने पर मन में सुकून रहेगा। कोई महत्वपूर्ण सूचना मिल सकती है। कार्यक्षेत्र में कुछ बदलाव करने की सोचेंगे। आपके व्यवहार से लोग प्रसन्न रहेंगे। धन का अपव्यय रुकेगा
वृषभ - मित्रों की सहायता से आपको मनोवांछित सफलता मिल सकती है। नये सम्पर्कों से इच्छित सहयोग मिलेगा। स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही न करें। मित्रों के साथ मौज-मस्ती करेंगे लेकिन अपने पारिवारिक दायित्वों से पीछे न हटें। प्रेमी के प्रति मन में कोई गलतफहमी न पालें।
मिथुन - थकान और तनाव के कारण काम में मन नहीं लगेगा। अपने क्रोध पर नियन्त्रण रखें। सरकारी काम में बाधा आ सकती है। अपने मन की बातें माता से साझा करेंगे। वाहन चलाने में सावधानी रखें। जॉब में मेहनत ज्यादा करनी पड़ेगी।
कर्क - जॉब में उन्नति और लाभ की सम्भावना बनेगी। रुका हुआ धन प्राप्त होगा। शुभ समाचार प्राप्त होंगे। अपने बुद्धि विवेक से निर्णय लें। नये बदलावों को स्वीकारते हुये आगे बढ़ें। प्रशासन से जुड़े लोगों को शानदार अवसर मिलेंगे।
सिंह - लोग आपके उदार स्वभाव का फायदा न उठायें इसका ध्यान रखें। समय का भरपूर उपयोग पढ़ने में और कुछ नया सीखने में करेंगे। घर में स्वादिष्ट व्यंजन पका सकते हैं। बाजार में उधार दिया हुआ धन फँस सकता है। आर्थिक मामलों को लेकर कोई निर्णय न लें।
कन्या - आपका मन शान्त रहेगा। जीवनसाथी रोमांटिक मूड में रहेगा। व्यवसायिक निर्णयों में दूसरों को शामिल न करें। सुख-सुविधाओं में धन खर्च होगा। प्रणय जीवन को लेकर कुछ चिन्ता रहेगी। अति आत्मविश्वास से दूर रहें।
तुला - पूरा दिन बाहरी कामों में व्यतीत होगा। ऑफिस के काम का दबाव आपके चेहरे पर साफ दिखेगा। मन में किसी बात को लेकर हीन-भावना आ सकती है। धर्म-कर्म में आपका मन लगेगा। आपको लोगों की चापलूसी बर्दाश्त नहीं होगी। लेकिन फिर भी संयम से काम लें।
वृश्चिक - आय के नये स्त्रोत विकसित कर लेंगे। नये प्रोजेक्ट की शुरुआत हो सकती है। वरिष्ठ व्यक्तियों का मार्गदर्शन मिलेगा। बच्चों पर प्रतिबन्ध न लगायें, अपितु उनके साथ अच्छा समय व्यतीत करें और उन्हें समय दें। घर का माहौल शान्ति भरा रहेगा। जोखिम भरे निवेश करना चाहते हैं तो दिन शुभ है।
धनु - ऑफिस में बॉस आपकी बात को काट सकता है। लेकिन आप स्वयं को प्रमाणित कर पाने में सफल रहेंगे। नाराज व्यक्ति को आज मना लेंगे। आपमें एक उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। उच्च शिक्षा और शोध से जुड़े जातकों को छात्रवृत्ति मिल सकती है।
मकर - वृद्ध जनों की सेवा और धर्म-कर्म में रुचि लेंगे। विवाह में जल्दबाज़ी न करें। पिता के साथ चर्चा बहुत लाभकारी होगी। कारोबारी यात्रा पर जाना पड़ सकता है। कार्यक्षेत्र में आज काम के प्रति एकाग्र रहेंगे। दिन सामान्य फलदायी रहेगा
कुम्भ - आपकी योग्यता को लोग शायद यथोचित सम्मान न दे पायें। भविष्य को लेकर कोई पॉलिसी या इंश्योरेंस प्लान ले सकते हैं। दाम्पत्य रिश्तों में संवादहीनता हो सकती है। ध्यान योग करने वाले जातकों को कुछ गहरे आध्यात्मिक अनुभव हो सकते हैं। अपनी वाणी पर संयम रखें।
मीन - व्यवसाय से सन्तुष्ट नहीं रहेंगे। नये व्यापार की योजना पर काम कर सकते हैं। जीवनसाथी की सलाह अवश्य लें। किन्तु कुछ भी शुरू करने से पूर्व उसके वैधानिक पहलुओं का ध्यान अवश्य रखें। प्रेम विवाह के प्रस्ताव मिल सकते हैं।
- ज्योतिषय श्री प्रेमशंकर शर्मा, बीकानेर।
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