पंचांग - शनिवार, जुलाई 18, 2020
शनि (ज्योतिष)
शनि ग्रह के प्रति अनेक आखयान पुराणों में प्राप्त होते हैं।शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नही मित्र है।मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं। अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि हैं।
वैदूर्य कांति रमल:, प्रजानां वाणातसी कुसुम वर्ण विभश्च शरत:।अन्यापि वर्ण भुव गच्छति तत्सवर्णाभि सूर्यात्मज: अव्यतीति मुनि प्रवाद:॥
भावार्थ:-शनि ग्रह वैदूर्यरत्न अथवा बाणफ़ूल या अलसी के फ़ूल जैसे निर्मल रंग से जब प्रकाशित होता है, तो उस समय प्रजा के लिये शुभ फ़ल देता है यह अन्य वर्णों को प्रकाश देता है, तो उच्च वर्णों को समाप्त करता है, ऐसा ऋषि, महात्मा कहते हैं।
धर्मग्रंथो के अनुसार सूर्य की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ, जब शनि देव छाया के गर्भ में थे तब छाया भगवान शंकर की भक्ति में इतनी ध्यान मग्न थी की उसने अपने खाने पिने तक शुध नहीं थी जिसका प्रभाव उसके पुत्र पर पड़ा और उसका वर्ण श्याम हो गया। शनि के श्यामवर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया की शनि मेरा पुत्र नहीं हैं। तभी से शनि अपने पिता से शत्रु भाव रखते थे।शनि देव ने अपनी साधना तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्य की भाँति शक्ति प्राप्त की और शिवजी ने शनि देव को वरदान मांगने को कहा, तब शनि देव ने प्रार्थना की कि युगों युगों में मेरी माता छाया की पराजय होती रही हैं, मेरे पिता सूर्य द्वारा अनेक बार अपमानित किया गया हैं। अतः माता की इच्छा हैं कि मेरा पुत्र अपने पिता से मेरे अपमान का बदला ले और उनसे भी ज्यादा शक्तिशाली बने। तब भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान होगा। मानव तो क्या देवता भी तुम्हरे नाम से भयभीत रहेंगे।
शनि के सम्बन्ध मे हमे पुराणों में अनेक आख्यान मिलते हैं। माता के छल के कारण पिता ने उसे शाप दिया। पिता अर्थात सूर्य ने कहा,"आप क्रूरतापूर्ण द्रिष्टि देखने वाले मंदगामी ग्रह हो जाये".यह भी आख्यान मिलता है कि शनि के प्रकोप से ही अपने राज्य को घोर दुर्भिक्ष से बचाने के लिये राजा दशरथ उनसे मुकाबला करने पहुंचे तो उनका पुरुषार्थ देख कर शनि ने उनसे वरदान मांगने के लिये कहा.राजा दशरथ ने विधिवत स्तुति कर उसे प्रसन्न किया। पद्म पुराण में इस प्रसंग का सविस्तार वर्णन है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में शनि ने जगत जननी पार्वती को बताया है कि मैं सौ जन्मो तक जातक की करनी का फ़ल भुगतान करता हूँ। एक बार जब विष्णुप्रिया लक्ष्मी ने शनि से पूंछा कि तुम क्यों जातकों को धन हानि करते हो, क्यों सभी तुम्हारे प्रभाव से प्रताडित रहते हैं, तो शनि महाराज ने उत्तर दिया,"मातेश्वरी, उसमे मेरा कोई दोष नही है, परमपिता परमात्मा ने मुझे तीनो लोकों का न्यायाधीश नियुक्त किया हुआ है, इसलिये जो भी तीनो लोकों के अंदर अन्याय करता है, उसे दंड देना मेरा काम है।" एक आख्यान और मिलता है, कि किस प्रकार से ऋषि अगस्त ने जब शनि देव से प्रार्थना की थी, तो उन्होने राक्षसों से उनको मुक्ति दिलवाई थी। जिस किसी ने भी अन्याय किया, उनको ही उन्होने दंड दिया, चाहे वह भगवान शिव की अर्धांगिनी सती रही हों, जिन्होने सीता का रूप रखने के बाद बाबा भोले नाथ से झूठ बोलकर अपनी सफ़ाई दी और परिणाम में उनको अपने ही पिता की यज्ञ में हवन कुंड मे जल कर मरने के लिये शनि देव ने विवश कर दिया, अथवा राजा हरिश्चन्द्र रहे हों, जिनके दान देने के अभिमान के कारण सप्तनीक बाजार मे बिकना पडा और श्मशान की रखवाली तक करनी पडी, या राजा नल और दमयन्ती को ही ले लीजिये, जिनके तुच्छ पापों की सजा के लिये उन्हे दर दर का होकर भटकना पडा, और भूनी हुई मछलियां तक पानी मै तैर कर भाग गईं, फ़िर साधारण मनुष्य के द्वारा जो भी मनसा, वाचा, कर्मणा, पाप कर दिया जाता है वह चाहे जाने मे किया जाय या अन्जाने में, उसे भुगतना तो पडेगा ही।
मत्स्य पुराण में महात्मा शनि देव का शरीर इन्द्र कांति की नीलमणि जैसी है, वे गिद्ध पर सवार है, हाथ मे धनुष बाण है एक हाथ से वर मुद्रा भी है, शनि देव का विकराल रूप भयावह भी है।शनि पापियों के लिये हमेशा ही संहारक हैं। पश्चिम के साहित्य मे भी अनेक आख्यान मिलते हैं, शनि देव के अनेक मन्दिर हैं, भारत में भी शनि देव के अनेक मन्दिर हैं, जैसे शिंगणापुर, वृंदावन के कोकिला वन, ग्वालियर के शनिश्चराजी, दिल्ली तथा अनेक शहरों मे महाराज शनि के मन्दिर हैं।
अगले सप्ताह हम शनि ज्योतिष में खगोलीय विवण जी जानकारी आ अध्ययन करेंगे..
मेष - आपके सभी कार्यों में तेजी आयेगी। भावुक होकर महत्वपूर्ण निर्णय न लें। कारोबार में विस्तार के नये अवसर मिलेंगे। आपका आत्मबल और जोखिम उठाने की क्षमता में वृद्धि होगी। यात्रा सुखद और लाभदायक रहेगी।
वृषभ - उधार दिया हुआ धन वापस मिल सकता है। दोस्तों और बड़े भाई-बहन से आर्थिक और मानसिक सहयोग मिलेगा। परिस्थितियों के आधार पर आपको निर्णय लेना पड़ेगा। परिवार की जिम्मेदारियाँ अच्छी तरह निभायेंगे। नयी योजनाओं में मन लगाकर काम करेंगे।
मिथुन - समय का सार्थक उपयोग करेंगे। कार्यक्षेत्र में बड़ी सफलता मिल सकती है। आपके ऊपर जो काम का अतिरिक्त दबाव था वो कम होगा। दाम्पत्य जीवन में खुशहाली रहेगी। आपकी मेहनत का सकारात्मक परिणाम अवश्य मिलेगा। प्रशासन से जुड़े लोगों को उच्च पद की प्राप्ति होगी।
कर्क - व्यस्तता के कारण तनाव में वृद्धि होगी। आपको आज स्वयं को आराम देने की आवश्यकता है। धार्मिक क्रियाकलापों में रुचि लेंगे। विद्यार्थियों की शिक्षा में व्यवधान आ सकता है। व्यर्थ के वाद-विवादों से बचे।
सिंह - बॉस के साथ सम्बन्ध प्रगाढ़ होगा। कार्यक्षेत्र में आपके प्रमोशन की चर्चा हो सकती है। अनावश्यक कार्यों में समय बर्बाद न करें। लव लाइफ में तनाव हो सकता है। पुराने रोग उभर सकते हैं।
कन्या - नौकरीपेशा लोगों को किसी बड़ी कम्पनी से जॉब के ऑफर मिलने की सम्भावना है। व्यापार में तेजी होने के प्रबल योग हैं। सरकारी कार्यालयों में रुके हुये काम आज बन सकते हैं। व्यवसायिक साझेदारों के साथ कारोबार में नयी योजना को लेकर चर्चा करेंगे।
तुला - जिस व्यक्ति से आशा होगी वही आपकी आशाओं में खरा नहीं उतरेगा। यथासम्भव लोगों की सहायता करने का प्रयास करेंगे। आपका तनाव कम हो सकता है। व्यापार की स्थिति अच्छी होने के बावजूद मनोवांछित परिणाम मिलने में सन्देह रहेगा। परिवार में सदस्यों के बीच विवाद सुलझाने में अहम् भूमिका निभायेंगे।
वृश्चिक - आज लोग झूँठ बोलकर आपको धोखा दे सकते हैं। इसलिये लेन-देन में सतर्कता रखें। सरकारी नियमों के पालन में लापरवाही न करें। सन्तान को लेकर कुछ चिन्ता में रहेंगे। पुराने रोग पुनः उभर सकते हैं।
धनु - दाम्पत्य सम्बन्धों को प्रगाढ़ करने के लिये बिल्कुल सही समय है। ऑफिस में कुछ साज-सज्जा कर सकते हैं। परिवार का माहौल बहुत ही अच्छा रहेगा। चतुरायी और बुद्धिमत्ता से कोई महत्वपूर्ण काम मिल सकता है। अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र रहेंगे।
मकर - प्रतियोगी परीक्षा या किसी इन्टरव्यू में सफलता मिलेगी। किसी शुभ आयोजन में सम्मिलित होने का निमन्त्रण मिल सकता है। निजी सम्बन्धों को लेकर काफी संवेदनशील रहेंगे। किसी अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति से गम्भीर विषयों पर चर्चा होगी। अपनी प्रतिभा का समुचित उपयोग कर पायेंगे।
कुम्भ - अपनी सामाजिक छवि को और बेहतर करने का प्रयास करेंगे। आज आपका प्रेमी आपको प्रपोज कर सकता है। व्यापार से जुड़े लोगों को अपनी गुणवत्ता अच्छी रखने की आवश्यकता है। सिर्फ अपना काम करें, उसका परिणाम फिलहाल आपने नियन्त्रण में नहीं है। खान-पान में लापरवाही न करें।
मीन - घर में कलह-क्लेश का माहौल हो सकता है। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। कीमती वस्तु गुम हो सकती है। उचित प्रबन्धन न होने के कारण आपकी आर्थिक स्थिति का सन्तुलन प्रभावित हो सकता है। अपनी गुप्त बातें किसी से शेयर न करें।
- ज्योतिषी प्रेमशंकर शर्मा, बीकानेर।
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शनि ग्रह के प्रति अनेक आखयान पुराणों में प्राप्त होते हैं।शनिदेव को सूर्य पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है। लेकिन साथ ही पितृ शत्रु भी.शनि ग्रह के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां और इस लिये उसे मारक, अशुभ और दुख कारक माना जाता है। पाश्चात्य ज्योतिषी भी उसे दुख देने वाला मानते हैं। लेकिन शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है। इसलिये वह शत्रु नही मित्र है।मोक्ष को देने वाला एक मात्र शनि ग्रह ही है। सत्य तो यह ही है कि शनि प्रकृति में संतुलन पैदा करता है, और हर प्राणी के साथ उचित न्याय करता है। जो लोग अनुचित विषमता और अस्वाभाविक समता को आश्रय देते हैं, शनि केवल उन्ही को दण्डिंत (प्रताडित) करते हैं। अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि हैं।
वैदूर्य कांति रमल:, प्रजानां वाणातसी कुसुम वर्ण विभश्च शरत:।
अन्यापि वर्ण भुव गच्छति तत्सवर्णाभि सूर्यात्मज: अव्यतीति मुनि प्रवाद:॥
भावार्थ:-शनि ग्रह वैदूर्यरत्न अथवा बाणफ़ूल या अलसी के फ़ूल जैसे निर्मल रंग से जब प्रकाशित होता है, तो उस समय प्रजा के लिये शुभ फ़ल देता है यह अन्य वर्णों को प्रकाश देता है, तो उच्च वर्णों को समाप्त करता है, ऐसा ऋषि, महात्मा कहते हैं।
धर्मग्रंथो के अनुसार सूर्य की पत्नी संज्ञा की छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ, जब शनि देव छाया के गर्भ में थे तब छाया भगवान शंकर की भक्ति में इतनी ध्यान मग्न थी की उसने अपने खाने पिने तक शुध नहीं थी जिसका प्रभाव उसके पुत्र पर पड़ा और उसका वर्ण श्याम हो गया। शनि के श्यामवर्ण को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाया की शनि मेरा पुत्र नहीं हैं। तभी से शनि अपने पिता से शत्रु भाव रखते थे।शनि देव ने अपनी साधना तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्य की भाँति शक्ति प्राप्त की और शिवजी ने शनि देव को वरदान मांगने को कहा, तब शनि देव ने प्रार्थना की कि युगों युगों में मेरी माता छाया की पराजय होती रही हैं, मेरे पिता सूर्य द्वारा अनेक बार अपमानित किया गया हैं। अतः माता की इच्छा हैं कि मेरा पुत्र अपने पिता से मेरे अपमान का बदला ले और उनसे भी ज्यादा शक्तिशाली बने। तब भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान होगा। मानव तो क्या देवता भी तुम्हरे नाम से भयभीत रहेंगे।
शनि के सम्बन्ध मे हमे पुराणों में अनेक आख्यान मिलते हैं। माता के छल के कारण पिता ने उसे शाप दिया। पिता अर्थात सूर्य ने कहा,"आप क्रूरतापूर्ण द्रिष्टि देखने वाले मंदगामी ग्रह हो जाये".यह भी आख्यान मिलता है कि शनि के प्रकोप से ही अपने राज्य को घोर दुर्भिक्ष से बचाने के लिये राजा दशरथ उनसे मुकाबला करने पहुंचे तो उनका पुरुषार्थ देख कर शनि ने उनसे वरदान मांगने के लिये कहा.राजा दशरथ ने विधिवत स्तुति कर उसे प्रसन्न किया। पद्म पुराण में इस प्रसंग का सविस्तार वर्णन है। ब्रह्मवैवर्त पुराण में शनि ने जगत जननी पार्वती को बताया है कि मैं सौ जन्मो तक जातक की करनी का फ़ल भुगतान करता हूँ। एक बार जब विष्णुप्रिया लक्ष्मी ने शनि से पूंछा कि तुम क्यों जातकों को धन हानि करते हो, क्यों सभी तुम्हारे प्रभाव से प्रताडित रहते हैं, तो शनि महाराज ने उत्तर दिया,"मातेश्वरी, उसमे मेरा कोई दोष नही है, परमपिता परमात्मा ने मुझे तीनो लोकों का न्यायाधीश नियुक्त किया हुआ है, इसलिये जो भी तीनो लोकों के अंदर अन्याय करता है, उसे दंड देना मेरा काम है।" एक आख्यान और मिलता है, कि किस प्रकार से ऋषि अगस्त ने जब शनि देव से प्रार्थना की थी, तो उन्होने राक्षसों से उनको मुक्ति दिलवाई थी। जिस किसी ने भी अन्याय किया, उनको ही उन्होने दंड दिया, चाहे वह भगवान शिव की अर्धांगिनी सती रही हों, जिन्होने सीता का रूप रखने के बाद बाबा भोले नाथ से झूठ बोलकर अपनी सफ़ाई दी और परिणाम में उनको अपने ही पिता की यज्ञ में हवन कुंड मे जल कर मरने के लिये शनि देव ने विवश कर दिया, अथवा राजा हरिश्चन्द्र रहे हों, जिनके दान देने के अभिमान के कारण सप्तनीक बाजार मे बिकना पडा और श्मशान की रखवाली तक करनी पडी, या राजा नल और दमयन्ती को ही ले लीजिये, जिनके तुच्छ पापों की सजा के लिये उन्हे दर दर का होकर भटकना पडा, और भूनी हुई मछलियां तक पानी मै तैर कर भाग गईं, फ़िर साधारण मनुष्य के द्वारा जो भी मनसा, वाचा, कर्मणा, पाप कर दिया जाता है वह चाहे जाने मे किया जाय या अन्जाने में, उसे भुगतना तो पडेगा ही।
मत्स्य पुराण में महात्मा शनि देव का शरीर इन्द्र कांति की नीलमणि जैसी है, वे गिद्ध पर सवार है, हाथ मे धनुष बाण है एक हाथ से वर मुद्रा भी है, शनि देव का विकराल रूप भयावह भी है।शनि पापियों के लिये हमेशा ही संहारक हैं। पश्चिम के साहित्य मे भी अनेक आख्यान मिलते हैं, शनि देव के अनेक मन्दिर हैं, भारत में भी शनि देव के अनेक मन्दिर हैं, जैसे शिंगणापुर, वृंदावन के कोकिला वन, ग्वालियर के शनिश्चराजी, दिल्ली तथा अनेक शहरों मे महाराज शनि के मन्दिर हैं।
अगले सप्ताह हम शनि ज्योतिष में खगोलीय विवण जी जानकारी आ अध्ययन करेंगे..
अगले सप्ताह हम शनि ज्योतिष में खगोलीय विवण जी जानकारी आ अध्ययन करेंगे..
मेष - आपके सभी कार्यों में तेजी आयेगी। भावुक होकर महत्वपूर्ण निर्णय न लें। कारोबार में विस्तार के नये अवसर मिलेंगे। आपका आत्मबल और जोखिम उठाने की क्षमता में वृद्धि होगी। यात्रा सुखद और लाभदायक रहेगी।
वृषभ - उधार दिया हुआ धन वापस मिल सकता है। दोस्तों और बड़े भाई-बहन से आर्थिक और मानसिक सहयोग मिलेगा। परिस्थितियों के आधार पर आपको निर्णय लेना पड़ेगा। परिवार की जिम्मेदारियाँ अच्छी तरह निभायेंगे। नयी योजनाओं में मन लगाकर काम करेंगे।
मिथुन - समय का सार्थक उपयोग करेंगे। कार्यक्षेत्र में बड़ी सफलता मिल सकती है। आपके ऊपर जो काम का अतिरिक्त दबाव था वो कम होगा। दाम्पत्य जीवन में खुशहाली रहेगी। आपकी मेहनत का सकारात्मक परिणाम अवश्य मिलेगा। प्रशासन से जुड़े लोगों को उच्च पद की प्राप्ति होगी।
कर्क - व्यस्तता के कारण तनाव में वृद्धि होगी। आपको आज स्वयं को आराम देने की आवश्यकता है। धार्मिक क्रियाकलापों में रुचि लेंगे। विद्यार्थियों की शिक्षा में व्यवधान आ सकता है। व्यर्थ के वाद-विवादों से बचे।
सिंह - बॉस के साथ सम्बन्ध प्रगाढ़ होगा। कार्यक्षेत्र में आपके प्रमोशन की चर्चा हो सकती है। अनावश्यक कार्यों में समय बर्बाद न करें। लव लाइफ में तनाव हो सकता है। पुराने रोग उभर सकते हैं।
कन्या - नौकरीपेशा लोगों को किसी बड़ी कम्पनी से जॉब के ऑफर मिलने की सम्भावना है। व्यापार में तेजी होने के प्रबल योग हैं। सरकारी कार्यालयों में रुके हुये काम आज बन सकते हैं। व्यवसायिक साझेदारों के साथ कारोबार में नयी योजना को लेकर चर्चा करेंगे।
तुला - जिस व्यक्ति से आशा होगी वही आपकी आशाओं में खरा नहीं उतरेगा। यथासम्भव लोगों की सहायता करने का प्रयास करेंगे। आपका तनाव कम हो सकता है। व्यापार की स्थिति अच्छी होने के बावजूद मनोवांछित परिणाम मिलने में सन्देह रहेगा। परिवार में सदस्यों के बीच विवाद सुलझाने में अहम् भूमिका निभायेंगे।
वृश्चिक - आज लोग झूँठ बोलकर आपको धोखा दे सकते हैं। इसलिये लेन-देन में सतर्कता रखें। सरकारी नियमों के पालन में लापरवाही न करें। सन्तान को लेकर कुछ चिन्ता में रहेंगे। पुराने रोग पुनः उभर सकते हैं।
धनु - दाम्पत्य सम्बन्धों को प्रगाढ़ करने के लिये बिल्कुल सही समय है। ऑफिस में कुछ साज-सज्जा कर सकते हैं। परिवार का माहौल बहुत ही अच्छा रहेगा। चतुरायी और बुद्धिमत्ता से कोई महत्वपूर्ण काम मिल सकता है। अपने लक्ष्य के प्रति एकाग्र रहेंगे।
मकर - प्रतियोगी परीक्षा या किसी इन्टरव्यू में सफलता मिलेगी। किसी शुभ आयोजन में सम्मिलित होने का निमन्त्रण मिल सकता है। निजी सम्बन्धों को लेकर काफी संवेदनशील रहेंगे। किसी अनुभवी और बुद्धिमान व्यक्ति से गम्भीर विषयों पर चर्चा होगी। अपनी प्रतिभा का समुचित उपयोग कर पायेंगे।
कुम्भ - अपनी सामाजिक छवि को और बेहतर करने का प्रयास करेंगे। आज आपका प्रेमी आपको प्रपोज कर सकता है। व्यापार से जुड़े लोगों को अपनी गुणवत्ता अच्छी रखने की आवश्यकता है। सिर्फ अपना काम करें, उसका परिणाम फिलहाल आपने नियन्त्रण में नहीं है। खान-पान में लापरवाही न करें।
मीन - घर में कलह-क्लेश का माहौल हो सकता है। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। कीमती वस्तु गुम हो सकती है। उचित प्रबन्धन न होने के कारण आपकी आर्थिक स्थिति का सन्तुलन प्रभावित हो सकता है। अपनी गुप्त बातें किसी से शेयर न करें।
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