शिव-पार्वती को समर्पित है यह तिथि, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजाविधि और इसका महत्व


भाई बन्धु, बीकानेर। तीज का व्रत महिलाओं के द्वारा सुख-समृद्धि, और परिवार की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। इस दिन महादेव और पार्वती की पूजा करने का विधान है और महिलाएं व्रत का संकल्प लेकर शिव-पार्वती की पूजा करती है। तीज की तिथि का सनातन संस्कृति में बढ़ा महत्व है और सावन मास की तीज सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाली मानी जाती है।

शिव महापुराण के अनुसार इस दिन भगवान भोलेनाथ का देवी पार्वती के साथ पुनर्मिलन हुआ था। उत्तर भारत में इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन महिलाओं को अपने मायके से आए वस्त्रों को पहनना चाहिए और इस दिन श्रंगार में भी मायके से आई हुई सामग्री का उपयोग करना चाहिए। सुयोग्य वर की कामना के लिए इस दिन कुंआरी लड़कियां हरियाली तीज के व्रत को रखती है।

जल और हरियाली के महीने सावन मास में पर्वों की अनोखी छटा चारों और छाई हुई रहती है। प्रकृति अपना अनुपम श्रंगार इस दौरान करती है। चारों और हरियाली छाई हुई रही है और बरसात की बूंदें धरती को हरी-भरी चूनर उड़ाती है। सावन भोलेनाथ का प्रिय मास है और इस मास में आने वाले ज्यादातर त्यौहार उनको समर्पित रहते हैं। ऐसा ही प्रकृति से नजदीकियों और शिव-पार्वती की आराधना का पर्व हरियाली तीज है। इस साल हरियाली तीज 23 जुलाई गुरुवार को है।


हरियाली तीज के शुभ मुहूर्त 
हरियाली तीज का आरम्भ :- 22 जुलाई को शाम 7 बजकर 23 मिनट से
हरियाली तीज का समापन :- 23 जुलाई को शाम 5 बजकर 4 मिनट पर

हरियाली तीज की पूजा विधि
हरियाली तीज के दिन सूर्योदय के पूर्व उठ कर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। स्वच्छ वस्त्र धारण करें और तत्पश्चात भगवान के सामने पूजा और व्रत का संकल्प लें। घर को स्वच्छ कर मुख्य द्वार को सजाएं। मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान श्रीगणेश और माता पार्वती की मूर्तियों के साथ उनकी सखियों की प्रतिमाओं का भी निर्माण करें। माता पार्वती को शृंगार की सामग्री जैसे चुडिय़ां, चुनरी, मेंहदी, बिंदी आदी अर्पित करें।

उसके बाद महादेव और देवी पार्वती के साथ सखियों की पूजा करें। महादेव को शिवलिंग पर जल अर्पित कर चंदन, चावल, बिल्वपत्र, फूल चढ़ाएं। भांग, धतूरे का भोग लगाएं। देवी पार्वती की कुमकुम, हल्दी, मेंहदी, गुलाल, फूल चढ़ाकर शिव, पार्वती औऱ सखियों को पंचामृत, पंचमेवा, मिठाई, फल आदि का भोग लगाएं। दीप, धूपबत्ती आदि जलाएं और आरती उतारें। हरियाली तीज व्रत का पूजन रात भर चलता है इसलिए इस दौरान महिलाएं जागरण करते हुए और भजन करती हैं। कुछ महिलाएं इस दिन अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए सोलह श्रृंगार करके निर्जला व्रत रखती हैं।

हरियाली तीज की व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक दिन भगवान शिव माता पार्वती को अपने मिलन की कथा सुनाते हैं। भोलेनाथ कहते हैं कि पार्वती तुमने मुझे अपने पति रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया लेकिन इसके बावजूद मुझे पति के रूप में पा न सकीं। उसके बाद 108 वीं बार तुमने पर्वतराज हिमालय के घर जन्म लिया। शिवजी कहते हैं – पार्वती तुमने हिमालय पर्वत पर मुझे वर के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। अपनी तपस्या के दौरान तुमने अन्न-जल का त्याग कर सूखे पत्ते चबाकर अपना समय व्यतीत किया था। बारहों मास तुमने कष्ट सहे और मौसम की परवाह किए बगैर तुमने लगातार तप किया था। तुम्हारी इस अवस्था को देखकर तुम्हारे पिता बहुत दु:खी और नाराज हो गए थे।

तुम वन में एक गुफा के अंदर मेरी आराधना में लीन रहती थी। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को तुमने रेत से एक शिवलिंग का निर्माण कर मेरी आराधना कि जिससे प्रसन्न होकर मैंने तुम्हारी मनोकामना पूर्ण की। इसके बाद तुमने अपने पिता को बताया कि 'पिताजी, मैं अपने जीवन का लंबा समय भगवान शिव की तपस्या में बिता चुकी हूं और भगवान भोलेनाथ ने मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर मुझे अपनी अर्द्धांगिनी के रूप में स्वीकार भी कर लिया है। अब मैं आपके साथ एक ही शर्त पर चलूंगी कि आप मेरा विवाह भगवान शिव के साथ ही करेंगे। उस समय पर्वतराज ने तुम्हारी इच्छा को स्वीकार कर लिया और तुम्हें घर पर वापस ले गये।

कुछ समय बीत जाने के बाद उन्होंने पूरे विधि विधान के साथ हमारा विवाह संपन्न किया 'हे पार्वती! भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को तुमने मेरी आराधना करके जो व्रत किया था, उसी के परिणाम स्वरूप हम दोनों का विवाह संभव हो पाया था। इस व्रत का महत्त्व यह है कि इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से प्रत्येक स्त्री को मैं मन वांछित फल मैं प्रदान करता हूं। भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी से कहा कि इस व्रत को जो भी स्त्री पूर्ण भक्तिभाव से करेंगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग की प्राप्ति होगी।



फेसबुक पेज अपनी प्रतिक्रया कॉमेन्टस बॉक्स में अवश्य देंवे...  
समाज की 'भाई बन्धु' पत्रिका में न्यूज और धर्म लेख इत्यादि अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें।

Comments