पंचांग - सोमवार, जुलाई 06, 2020
वैद्यनाथ मन्दिर, झारखंड
वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर के राज्य झारखंड में अतिप्रसिद्ध देवघर नामक स्थान पर अवस्थित है। पवित्र तीर्थ होने के कारण लोग इसे वैद्यनाथ धाम भी कहते हैं। जहाँ पर यह मन्दिर स्थित है उस स्थान को "देवघर" अर्थात देवताओं का घर कहते हैं। बैद्यनाथ स्थित होने के कारण इस स्थान को देवघर नाम मिला है। यह एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहाँ पर आने वालों की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिंग को "कामना लिंग" भी कहा जाता हैं।
शीतांशु कुमार सहाय ने बताया है कि इस लिंग की स्थापना का इतिहास यह है कि एक बार राक्षसराज रावण ने हिमालय पर जाकर शिवजी की प्रसन्नता के लिये घोर तपस्या की और अपने सिर काट-काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने शुरू कर दिये। एक-एक करके नौ सिर चढ़ाने के बाद दसवाँ सिर भी काटने को ही था कि शिवजी प्रसन्न होकर प्रकट हो गये। उन्होंने उसके दसों सिर ज्यों-के-त्यों कर दिये और उससे वरदान माँगने को कहा। रावण ने लंका में जाकर उस लिंग को स्थापित करने के लिये उसे ले जाने की आज्ञा माँगी। शिवजी ने अनुमति तो दे दी, पर इस चेतावनी के साथ दी कि यदि मार्ग में इसे पृथ्वी पर रख देगा तो वह वहीं अचल हो जाएगा। अन्ततोगत्वा वही हुआ। रावण शिवलिंग लेकर चला पर मार्ग में एक चिताभूमि आने पर उसे लघुशंका निवृत्ति की आवश्यकता हुई। रावण उस लिंग को एक अहीर जिनका नाम बैजनाथ भील था , को थमा लघुशंका-निवृत्ति करने चला गया। इधर उन अहीर भील ने ज्योतिर्लिंग को बहुत अधिक भारी अनुभव कर भूमि पर रख दिया। फिर क्या था, लौटने पर रावण पूरी शक्ति लगाकर भी उसे न उखाड़ सका और निराश होकर मूर्ति पर अपना अँगूठा गड़ाकर लंका को चला गया। इधर ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की। शिवजी का दर्शन होते ही सभी देवी देवताओं ने शिवलिंग की वहीं उसी स्थान पर प्रतिस्थापना कर दी और शिव-स्तुति करते हुए वापस स्वर्ग को चले गये। जनश्रुति व लोक-मान्यता के अनुसार यह वैद्यनाथ-ज्योतिर्लिग मनोवांछित फल देने वाला है।
देवघर का शाब्दिक अर्थ है देवी-देवताओं का निवास स्थान। देवघर में बाबा भोलेनाथ का अत्यन्त पवित्र और भव्य मन्दिर स्थित है। हर साल सावन के महीने में स्रावण मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु "बोल-बम!" "बोल-बम!" का जयकारा लगाते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते है। ये सभी श्रद्धालु सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल लेकर लगभग सौ किलोमीटर की अत्यन्त कठिन पैदल यात्रा कर बाबा को जल चढाते हैं।
मन्दिर के समीप ही एक विशाल तालाब भी स्थित है। बाबा बैद्यनाथ का मुख्य मन्दिर सबसे पुराना है जिसके आसपास अनेक अन्य मन्दिर भी बने हुए हैं। बाबा भोलेनाथ का मन्दिर माँ पार्वती जी के मन्दिर से जुड़ा हुआ है।
बैद्यनाथ धाम की पवित्र यात्रा श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में शुरु होती है। सबसे पहले तीर्थ यात्री सुल्तानगंज में एकत्र होते हैं जहाँ वे अपने-अपने पात्रों में पवित्र गंगाजल भरते हैं। इसके बाद वे गंगाजल को अपनी-अपनी काँवर में रखकर बैद्यनाथ धाम और बासुकीनाथ की ओर बढ़ते हैं। पवित्र जल लेकर जाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वह पात्र जिसमें जल है, वह कहीं भी भूमि से न सटे।
वासुकिनाथ अपने शिव मन्दिर के लिये जाना जाता है। वैद्यनाथ मन्दिर की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक वासुकिनाथ में दर्शन नहीं किये जाते। (यह मान्यता हाल फ़िलहाल में प्रचलित हुई है। पहले ऐसी मान्यता का प्रचलन नहीं था। न ही पुराणों में ऐसा वर्णन है।) यह मन्दिर देवघर से 42 किलोमीटर दूर जरमुण्डी गाँव के पास स्थित है। यहाँ पर स्थानीय कला के विभिन्न रूपों को देखा जा सकता है। इसके इतिहास का सम्बन्ध नोनीहाट के घाटवाल से जोड़ा जाता है। वासुकिनाथ मन्दिर परिसर में कई अन्य छोटे-छोटे मन्दिर भी हैं।
बाबा बैद्यनाथ मन्दिर परिसर के पश्चिम में देवघर के मुख्य बाजार में तीन और मन्दिर भी हैं। इन्हें बैजू मन्दिर के नाम से जाना जाता है। इन मन्दिरों का निर्माण बाबा बैद्यनाथ मन्दिर के मुख्य पुजारी के वंशजों ने किसी जमाने में करवाया था। प्रत्येक मन्दिर में भगवान शिव का लिंग स्थापित है।
भारत में झारखण्ड के देवघर जिले में स्थित वैद्यनाथ ज् का मंदीर है। विश्व के सभी शिव मंदिरों के शीर्ष पर त्रिशूल लगा दीखता है मगर वैद्यनाथधाम परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी-नारायण व अन्य सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल लगे हैं।
यहाँ प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि से 2 दिनों पूर्व बाबा मंदिर, माँ पार्वती व लक्ष्मी-नारायण के मंदिरों से पंचशूल उतारे जाते हैं। इस दौरान पंचशूल को स्पर्श करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। जैसा कि नीचे के चित्रों में आपको दिखाई पड़ेगा। वैद्यनाथधाम परिसर में स्थित अन्य मंदिरों के शीर्ष पर स्थित पंचशूलों को महाशिवरात्रि के कुछ दिनों पूर्व ही उतार लिया जाता है। सभी पंचशूलों को नीचे लाकर महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है और तब सभी पंचशूलों को मंदिरों पर यथा स्थान स्थापित कर दिया जाता है। इस दौरान बाबा व पार्वती मंदिरों के गठबंधन को हटा दिया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन नया गठबंधन किया जाता है। गठबंधन के लाल पवित्र कपड़े को प्राप्त करने के लिए भी भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। महाशिवरात्रि के दौरान बहुत-से श्रद्धालु सुल्तानगंज से कांवर में गंगाजल भरकर 105 किलोमीटर पैदल चलकर और ‘बोल बम’ का जयघोष करते हुए वैद्यनाथधाम पहुंचते हैं।
दैनिक राशिफल
वैद्यनाथ मन्दिर, देवघर के राज्य झारखंड में अतिप्रसिद्ध देवघर नामक स्थान पर अवस्थित है। पवित्र तीर्थ होने के कारण लोग इसे वैद्यनाथ धाम भी कहते हैं। जहाँ पर यह मन्दिर स्थित है उस स्थान को "देवघर" अर्थात देवताओं का घर कहते हैं। बैद्यनाथ स्थित होने के कारण इस स्थान को देवघर नाम मिला है। यह एक सिद्धपीठ है। कहा जाता है कि यहाँ पर आने वालों की सारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इस कारण इस लिंग को "कामना लिंग" भी कहा जाता हैं।
शीतांशु कुमार सहाय ने बताया है कि इस लिंग की स्थापना का इतिहास यह है कि एक बार राक्षसराज रावण ने हिमालय पर जाकर शिवजी की प्रसन्नता के लिये घोर तपस्या की और अपने सिर काट-काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने शुरू कर दिये। एक-एक करके नौ सिर चढ़ाने के बाद दसवाँ सिर भी काटने को ही था कि शिवजी प्रसन्न होकर प्रकट हो गये। उन्होंने उसके दसों सिर ज्यों-के-त्यों कर दिये और उससे वरदान माँगने को कहा। रावण ने लंका में जाकर उस लिंग को स्थापित करने के लिये उसे ले जाने की आज्ञा माँगी। शिवजी ने अनुमति तो दे दी, पर इस चेतावनी के साथ दी कि यदि मार्ग में इसे पृथ्वी पर रख देगा तो वह वहीं अचल हो जाएगा। अन्ततोगत्वा वही हुआ। रावण शिवलिंग लेकर चला पर मार्ग में एक चिताभूमि आने पर उसे लघुशंका निवृत्ति की आवश्यकता हुई। रावण उस लिंग को एक अहीर जिनका नाम बैजनाथ भील था , को थमा लघुशंका-निवृत्ति करने चला गया। इधर उन अहीर भील ने ज्योतिर्लिंग को बहुत अधिक भारी अनुभव कर भूमि पर रख दिया। फिर क्या था, लौटने पर रावण पूरी शक्ति लगाकर भी उसे न उखाड़ सका और निराश होकर मूर्ति पर अपना अँगूठा गड़ाकर लंका को चला गया। इधर ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की। शिवजी का दर्शन होते ही सभी देवी देवताओं ने शिवलिंग की वहीं उसी स्थान पर प्रतिस्थापना कर दी और शिव-स्तुति करते हुए वापस स्वर्ग को चले गये। जनश्रुति व लोक-मान्यता के अनुसार यह वैद्यनाथ-ज्योतिर्लिग मनोवांछित फल देने वाला है।
देवघर का शाब्दिक अर्थ है देवी-देवताओं का निवास स्थान। देवघर में बाबा भोलेनाथ का अत्यन्त पवित्र और भव्य मन्दिर स्थित है। हर साल सावन के महीने में स्रावण मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु "बोल-बम!" "बोल-बम!" का जयकारा लगाते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते है। ये सभी श्रद्धालु सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल लेकर लगभग सौ किलोमीटर की अत्यन्त कठिन पैदल यात्रा कर बाबा को जल चढाते हैं।
मन्दिर के समीप ही एक विशाल तालाब भी स्थित है। बाबा बैद्यनाथ का मुख्य मन्दिर सबसे पुराना है जिसके आसपास अनेक अन्य मन्दिर भी बने हुए हैं। बाबा भोलेनाथ का मन्दिर माँ पार्वती जी के मन्दिर से जुड़ा हुआ है।
बैद्यनाथ धाम की पवित्र यात्रा श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) में शुरु होती है। सबसे पहले तीर्थ यात्री सुल्तानगंज में एकत्र होते हैं जहाँ वे अपने-अपने पात्रों में पवित्र गंगाजल भरते हैं। इसके बाद वे गंगाजल को अपनी-अपनी काँवर में रखकर बैद्यनाथ धाम और बासुकीनाथ की ओर बढ़ते हैं। पवित्र जल लेकर जाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वह पात्र जिसमें जल है, वह कहीं भी भूमि से न सटे।
वासुकिनाथ अपने शिव मन्दिर के लिये जाना जाता है। वैद्यनाथ मन्दिर की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक वासुकिनाथ में दर्शन नहीं किये जाते। (यह मान्यता हाल फ़िलहाल में प्रचलित हुई है। पहले ऐसी मान्यता का प्रचलन नहीं था। न ही पुराणों में ऐसा वर्णन है।) यह मन्दिर देवघर से 42 किलोमीटर दूर जरमुण्डी गाँव के पास स्थित है। यहाँ पर स्थानीय कला के विभिन्न रूपों को देखा जा सकता है। इसके इतिहास का सम्बन्ध नोनीहाट के घाटवाल से जोड़ा जाता है। वासुकिनाथ मन्दिर परिसर में कई अन्य छोटे-छोटे मन्दिर भी हैं।
बाबा बैद्यनाथ मन्दिर परिसर के पश्चिम में देवघर के मुख्य बाजार में तीन और मन्दिर भी हैं। इन्हें बैजू मन्दिर के नाम से जाना जाता है। इन मन्दिरों का निर्माण बाबा बैद्यनाथ मन्दिर के मुख्य पुजारी के वंशजों ने किसी जमाने में करवाया था। प्रत्येक मन्दिर में भगवान शिव का लिंग स्थापित है।
भारत में झारखण्ड के देवघर जिले में स्थित वैद्यनाथ ज् का मंदीर है। विश्व के सभी शिव मंदिरों के शीर्ष पर त्रिशूल लगा दीखता है मगर वैद्यनाथधाम परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी-नारायण व अन्य सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल लगे हैं।
यहाँ प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि से 2 दिनों पूर्व बाबा मंदिर, माँ पार्वती व लक्ष्मी-नारायण के मंदिरों से पंचशूल उतारे जाते हैं। इस दौरान पंचशूल को स्पर्श करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। जैसा कि नीचे के चित्रों में आपको दिखाई पड़ेगा। वैद्यनाथधाम परिसर में स्थित अन्य मंदिरों के शीर्ष पर स्थित पंचशूलों को महाशिवरात्रि के कुछ दिनों पूर्व ही उतार लिया जाता है। सभी पंचशूलों को नीचे लाकर महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है और तब सभी पंचशूलों को मंदिरों पर यथा स्थान स्थापित कर दिया जाता है। इस दौरान बाबा व पार्वती मंदिरों के गठबंधन को हटा दिया जाता है। महाशिवरात्रि के दिन नया गठबंधन किया जाता है। गठबंधन के लाल पवित्र कपड़े को प्राप्त करने के लिए भी भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। महाशिवरात्रि के दौरान बहुत-से श्रद्धालु सुल्तानगंज से कांवर में गंगाजल भरकर 105 किलोमीटर पैदल चलकर और ‘बोल बम’ का जयघोष करते हुए वैद्यनाथधाम पहुंचते हैं।
दैनिक राशिफल
मेष - भाग्य आपका पूरा साथ देगा। परिवार का माहौल शान्ति और सौहार्दपूर्ण रहेगा। राजनीति से जुड़े कार्यों में सफलता मिलेगी। IT और सॉफ्टवेयर के प्रोजेक्ट्स में सफलता मिलेगी। कारोबारियों को नये ऑर्डर मिल सकते हैं।
वृषभ - दिन सामान्य फलदायी रहेगा। पिता की सेहत का ध्यान रखें। धन की प्राप्ति होगी। भरोसेमन्द लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। उच्चाधिकारियों के व्यवहार में खिन्नता हो सकती है। नये व्यवसायिक अनुबन्ध होने के योग बन रहे हैं।
मिथुन - कार्यक्षेत्र में आपका नाम खराब हो सकता है। धन हानि हो सकती है। स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही होने के योग बन रहे हैं। जीवनसाथी का व्यवहार आपको दुखी कर सकता है। प्रेम सम्बन्धों में खटास न आने दें।
कर्क - धार्मिक कार्यों में संलग्नता रहेगी। रोगों से मुक्ति मिलेगी। कारोबार में नये प्रस्ताव मिल सकते हैं। व्यवसाय में आशातीत सफलता मिलेगी। अपनी योजनाओं को गुप्त रखें। विदेशी व्यापार में समस्या आ सकती है।
सिंह - कार्यक्षेत्र में आपका सम्मान बढ़ेगा। बेरोजगार लोगों को रोजगार मिल सकता है। अपनी फिटनेस पर ध्यान दें। घर में अतिथियों का आगमन होगा। ऑफिस में सहकर्मियों का साथ मिलेगा। लेखन और रचनात्मक कार्यों में रुचि लेंगे।
कन्या - दोस्तों के साथ मनोरंजन में समय व्यतीत होगा। लवमेट्स के बीच झगड़ा हो सकता है। शेयर मार्केट में सम्भल कर निवेश करें। तनाव आपकी कार्यक्षमता में कमी ला सकता है। सन्तान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिलेगा।
तुला - परिश्रम का यथोचित लाभ नहीं मिलेगा। मन में आध्यात्मिक विचारों का गहरा प्रभाव रहेगा। महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। विद्यार्थियों को पढ़ाई में बाधा आ सकती है। लम्बी यात्रा करने से बचें।
वृश्चिक - घर-परिवार में आपकी पूछ-परख बढ़ेगी। कार्यक्षेत्र में सार्थक बदलाव हो सकते हैं। धन और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कारोबार में बदलाव करने का विचार बनायेंगे। अपनी क्षमताओं का अच्छा उपयोग कर पायेंगे।
धनु - आर्थराइटिस के रोगियों को समस्या हो सकती है। कटु वचन बोलने से लोग बुरा मान सकते हैं। रुका हुआ धन वापस मिलेगा। अनिर्णय की स्थिति से बचने का प्रयास करें। नया व्यवसाय शुरू करने का प्लान कर सकते हैं।
मकर - नौकरीपेशा लोगों को तनाव हो सकता है। शारीरिक कार्य के बजाय बौद्धिक कार्यों में अधिक रुचि लेंगे। कोर्ट-केस सम्बन्धी मामला सुलझने के योग बन रहे हैं। वृद्ध व्यक्तियों का सहयोग और मार्गदर्शन मिलेगा। अनुशासित जीवनशैली अपनाने का प्रयास करेंगे।
कुम्भ - सन्तान के व्यवहार से हताश हो सकते हैं। आर्थिक योजनाओं को झटका लग सकता है। आपके स्वभाव में विनम्रता रहेगी। यात्रा के दौरान लापरवाही न करें। पेट में गैस और इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है।
मीन - नजदीकी मित्रों का साथ मिलेगा। परिवार का माहौल बहुत ही अच्छा रहने वाला है। घर के लिये आवश्यक महत्वपूर्ण सामान खरीद सकते हैं। जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाये रखें। आपके द्वारा लिये गये निर्णय भविष्य में बेहद लाभकारी सिद्ध होंगे।
- ज्योतिषी प्रेमशंकर शर्मा, बीकानेर।
समाज की 'भाई बन्धु' पत्रिका में न्यूज और धर्म लेख इत्यादि अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें।
मेष - भाग्य आपका पूरा साथ देगा। परिवार का माहौल शान्ति और सौहार्दपूर्ण रहेगा। राजनीति से जुड़े कार्यों में सफलता मिलेगी। IT और सॉफ्टवेयर के प्रोजेक्ट्स में सफलता मिलेगी। कारोबारियों को नये ऑर्डर मिल सकते हैं।
वृषभ - दिन सामान्य फलदायी रहेगा। पिता की सेहत का ध्यान रखें। धन की प्राप्ति होगी। भरोसेमन्द लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। उच्चाधिकारियों के व्यवहार में खिन्नता हो सकती है। नये व्यवसायिक अनुबन्ध होने के योग बन रहे हैं।
मिथुन - कार्यक्षेत्र में आपका नाम खराब हो सकता है। धन हानि हो सकती है। स्वास्थ्य को लेकर लापरवाही होने के योग बन रहे हैं। जीवनसाथी का व्यवहार आपको दुखी कर सकता है। प्रेम सम्बन्धों में खटास न आने दें।
कर्क - धार्मिक कार्यों में संलग्नता रहेगी। रोगों से मुक्ति मिलेगी। कारोबार में नये प्रस्ताव मिल सकते हैं। व्यवसाय में आशातीत सफलता मिलेगी। अपनी योजनाओं को गुप्त रखें। विदेशी व्यापार में समस्या आ सकती है।
सिंह - कार्यक्षेत्र में आपका सम्मान बढ़ेगा। बेरोजगार लोगों को रोजगार मिल सकता है। अपनी फिटनेस पर ध्यान दें। घर में अतिथियों का आगमन होगा। ऑफिस में सहकर्मियों का साथ मिलेगा। लेखन और रचनात्मक कार्यों में रुचि लेंगे।
कन्या - दोस्तों के साथ मनोरंजन में समय व्यतीत होगा। लवमेट्स के बीच झगड़ा हो सकता है। शेयर मार्केट में सम्भल कर निवेश करें। तनाव आपकी कार्यक्षमता में कमी ला सकता है। सन्तान पक्ष से कोई शुभ समाचार मिलेगा।
तुला - परिश्रम का यथोचित लाभ नहीं मिलेगा। मन में आध्यात्मिक विचारों का गहरा प्रभाव रहेगा। महत्वपूर्ण निर्णय लेने में जल्दबाजी न करें। विद्यार्थियों को पढ़ाई में बाधा आ सकती है। लम्बी यात्रा करने से बचें।
वृश्चिक - घर-परिवार में आपकी पूछ-परख बढ़ेगी। कार्यक्षेत्र में सार्थक बदलाव हो सकते हैं। धन और प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। कारोबार में बदलाव करने का विचार बनायेंगे। अपनी क्षमताओं का अच्छा उपयोग कर पायेंगे।
धनु - आर्थराइटिस के रोगियों को समस्या हो सकती है। कटु वचन बोलने से लोग बुरा मान सकते हैं। रुका हुआ धन वापस मिलेगा। अनिर्णय की स्थिति से बचने का प्रयास करें। नया व्यवसाय शुरू करने का प्लान कर सकते हैं।
मकर - नौकरीपेशा लोगों को तनाव हो सकता है। शारीरिक कार्य के बजाय बौद्धिक कार्यों में अधिक रुचि लेंगे। कोर्ट-केस सम्बन्धी मामला सुलझने के योग बन रहे हैं। वृद्ध व्यक्तियों का सहयोग और मार्गदर्शन मिलेगा। अनुशासित जीवनशैली अपनाने का प्रयास करेंगे।
कुम्भ - सन्तान के व्यवहार से हताश हो सकते हैं। आर्थिक योजनाओं को झटका लग सकता है। आपके स्वभाव में विनम्रता रहेगी। यात्रा के दौरान लापरवाही न करें। पेट में गैस और इन्फेक्शन की समस्या हो सकती है।
मीन - नजदीकी मित्रों का साथ मिलेगा। परिवार का माहौल बहुत ही अच्छा रहने वाला है। घर के लिये आवश्यक महत्वपूर्ण सामान खरीद सकते हैं। जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाये रखें। आपके द्वारा लिये गये निर्णय भविष्य में बेहद लाभकारी सिद्ध होंगे।
- ज्योतिषी प्रेमशंकर शर्मा, बीकानेर।
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