ये वदन्ति नरा नित्यं हरिरित्यक्षरद्वयम्।
तस्योच्चारणमात्रेण विमुक्तास्ते न संशय:।।
'जो मनुष्य परमात्मा के इस दो अक्षरवाले नाम 'हरि' का नित्य उच्चारण करते हैं, उसके उच्चारणमात्र से वे मुक्त हो जाते हैं, इसमें शंका नहीं है।'
गरुड़ पुराण में उपदिष्ट है कि:
यदीच्छसि परं ज्ञानं ज्ञानाच्च परमं पदम् ।
तदा यत्नेन महता कुरु श्रीहरिकीर्तनम् ।।
'यदि परम ज्ञान अर्थात आत्मज्ञान की इच्छा है और उस आत्मज्ञान से परम पद पाने की इच्छा है, तो खूब यत्नपूर्वक श्री हरि के नाम का कीर्तन करो ।'
भगवान वेदव्यास जी तो कहते हैं-
हरेर्नाम हरेर्नाम हरेर्नामैव केवलम्।
कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा।।
कलियुग में मुक्ति का एकमात्र साधन हरि नाम, हरि नाम और हरि नाम का संकीर्तन ही है, अन्य कोई मार्ग, साधन या उपाय नहीं है, नहीं है और अवश्य नहीं है।
बृहन्नारदीय उप पुराण-38/126-127
सनक उवाच
हरेर्नामैव नामैव नामैव मम जीवनम्।
कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यथा।।
श्री सनक जी ने कहा- श्री हरि का नाम ही, नाम ही, नाम ही मेरा जीवन है ।
कलियुग में इसके सिवा दूसरी कोई गति नहीं है, नहीं है, नहीं है ।। (नारद महापुराण-1/41/115)
श्रीमद्भागवत के अनुसार, सत्य युग में भगवान का ध्यान करने से, त्रेता में बड़े-बड़े यज्ञों के द्वारा उनकी आराधना करने से
और द्वापर में विधि पूर्वक उनकी पूजा-सेवा से जो फल मिलता है। वह कलियुग में केवल भगवन्नाम का कीर्तन करने से ही प्राप्त हो जाता है। (श्रीमद्भागवत 12/3/52)
श्रीशुकदेवजीने कहा- जो लोग लोक या परलोक की किसी भी वस्तु की इच्छा रखते हैं या इसके विपरीत संसार में दु:ख का अनुभव करके जो उस से विरक्त हो गए हैं और निर्भय मोक्ष पद को प्राप्त करना चाहते हैं उन साधकों के लिए तथा योग संपन्न सिद्ध ज्ञानियों के लिए भी समस्त शास्त्रों का यही निर्णय है कि वे भगवान के नामों का प्रेम से संकीर्तन करें (श्रीमद्भागवत 2/1/11)
महामन्त्र
'हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।'
को तारक ब्रह्म महामन्त्र कहा जाता है ।
इस महामंत्र -
'हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।'
को सभी लोग उच्चारण/कीर्तन/जप कर सकते हैं।
इस वैदिकी महामंत्र-
'हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।'
को पहले हरे राम बाद में हरे कृष्ण जाप/उच्चारण/कीर्तन करने का विधान है।
इस महामंत्र को कोई भी मनुष्य किसी भी अवस्था में 24/7 किसी भी समय जाप/उच्चारण/कीर्तन कर सकता है ।
कृष्णयजुर्वेदीय कलिसंतरणोपनिषद् के अनुसार द्वापर के अंत में श्री नारद जी भगवान ब्रह्मा जी के पास जाकर बोले- 'भगवन! पृथ्वी लोक के मनुष्य किस प्रकार कलियुग के दोषों से बच सकते हैं?'
भगवान ब्रह्मा जी ने कहा- 'भगवान आदि पुरुष नारायण के नामों का उच्चारण करने से मनुष्य कलियुग के दोषों से बच सकते हैं।'
श्री नारद जी ने पूछा- 'वह कौन सा नाम है ?'
भगवान ब्रह्मा जी ने कहा सोलह (16) नाम वाला 32 अक्षरो का तारक ब्रह्म महामंत्र
'हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।' (कलिसंतरणोपनिषद्)
'यह 16 नाम कलियुग के पापों का नाश करने वाले हैं । इससे श्रेष्ठ उपाय किसी वेद में भी नहीं मिलता है।
इसके द्वारा षोडश कलाओं से आवृत जीव के आवरण नष्ट हो जाते हैं। तत्पश्चात जैसे मेघ के विलीन होने पर सूर्य की किरणें प्रकाशित हो उठती है उसी प्रकार परब्रह्म का स्वरूप प्रकाशित हो जाता है।'
श्री नारद जी ने पूछा- 'इसके जप की क्या विधि है?'
भगवान ब्रह्मा जी ने कहा- 'इसके जपने का कोई नियम नहीं है।'
पवित्र हो या अपवित्र इस महामंत्र का नियम व प्रेम से जप/उच्चारण/कीर्तन करने से मनुष्य सालोक्य-सामीप्य- सारूप्य और सायुज्य आदि मुक्ति को व भगवान की भक्ति प्राप्त कर सकता है।
इसे तारक ब्रह्म भी कहते हैं क्योंकि यह मंत्र परब्रह्म का वह रूप है जिसके जप/उच्चारण/कीर्तन करने मात्र से ही मनुष्य संसार सागर से पार हो जाता है।
यह महामंत्र समस्त शक्तियों से संपन्न है । आधि-व्याधि का नाशक है । इस महा मंत्र की दीक्षा में गुरु की या मुहूर्त के विचार की आवश्यकता नहीं है।
इसके जप/उच्चारण/कीर्तन में कोई विशेष पूजा की अनिवार्यता नहीं है । केवल उच्चारण करने मात्र से यह संपूर्ण फल देता है ।
अपने अपने जन्मजात वर्ण अनुसार का नित्य नैमित्तिक आदि कर्म करते हुए नाम जप करना चाहिए ।
'हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।'
'हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।'
'हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।'
- आचार्य श्री लक्ष्मी नारायण पाण्डेय, डिब्रूगढ़ (असम)
अध्यक्ष, अखिल भारतीय शाकद्वीपीय ब्राह्मण महापरिषद, डिब्रूगढ़ (असम)
संरक्षक, सार्वभौम शाकद्वीपीय ब्राह्मण महासंघ (राष्ट्रीय)
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