पंचांग - गुरुवार, 30 जुलाई 2020
चारभुजा, गढ़बोर (राजसमंद)
चारभुजा एक ऐतिहासिक एवं प्राचीन हिन्दू मन्दिर है जो भारतीय राज्य राजस्थान के राजसमंद ज़िले की कुम्भलगढ़ तहसील के गढब़ोर गांव में स्थित है।
उदयपुर से 112 और कुम्भलगढ़ से 32 कि.मी. की दूरी के लिए मेवाड़ का जाना – माना तीर्थ स्थल हैं, जहां चारभुजा जी की बड़ी ही पौराणिक चमत्कारी प्रतिमा हैं। मेवाड़ के सांवलियाजी मंदिर, केशरियानाथ मंदिर, एकलिंगनाथ मंदिर, श्रीनाथजी मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर व चारभुजानाथ मंदिर सुप्रसिद्ध है।
इस मन्दिर का निर्माण राजपूत शासक गंगदेव ने करवाया था। चारभुजा के शिलालेख के अनुसार सन् 1444ई. (वि.स. 1501) में खरवड़ शाखा के ठाकुर महिपाल व उसके पुत्र रावत लक्ष्मण ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। एक मन्दिर में मिले शिलालेख के अनुसार यहां इस क्षेत्र का नाम "बद्री" था जो कि बद्रीनाथ से मेल खाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार श्रीकृष्ण भगवान ने उद्धव को हिमालय में तपस्या कर सद्गति प्राप्त करने का आदेश देते हुए स्वयं गौलोक जाने की इच्छा जाहिर की, तब उद्धव ने कहाकि मेरा तो उद्धार हो जाएगा पंरतु आपके परमभक्त पांडव व सुदामा तो आपके गौलोक जाने की खबर सुनकर प्राण त्याग देंगे। ऐसे में श्रीकृष्ण ने विश्वकर्मा से स्वयं व बलराम की मूर्तियां बनवाई, जिसे राजा इन्द्र को देकर कहा कि ये मूर्तियां पांडव युधिष्ठिर व सुदामा को सुपुर्द करके उन्हें कहना कि ये दोनों मूर्तियां मेरी है और मैं ही इनमें हूं। प्रेम से इन मूर्तियों का पूजन करते रहें, कलयुग में मेरे दर्शन व पूजा करते रहने से मैं मनुष्यों की इच्छा पूर्ण करूंगा। इन्द्र देवता ने श्रीकृष्ण की मूर्ति सुदामा को प्रदान की और पांडव व सुदामा इन मूर्तियों की पूजा करने लगे। वर्तमान में गढ़बोर में चारभुजा जी के नाम से स्थित प्रतिमा पांडवो द्वारा पूजी जाने वाली मूर्ति और सुदामा द्वारा पूजी जाने वाली मूर्ति सत्यनारायण के नाम से सेवंत्री गांव में स्थित है। कहा जाता है कि पांडवो ने हिमालय जाने से पूर्व मूर्ति को जलमग्न करके गए थे ताकि इसकी पवित्रता को कोई खंडित न कर सके।
गढ़बोर के तत्कालीन राजपूत शासक गंगदेव को चारभुजानाथ ने सपने में आकर आदेश दिया कि पानी में से निकालकर मूर्ति मंदिर बनाकर स्थापित करो। राजा ने ऐसा ही किया, उसने जल से प्राप्त मूर्ति को मंदिर में स्थापित करवा दी। कहा जाता है कि मुगलों के अत्याचारों को देखते हुए मूर्ति को कई बार जलमग्न रखा गया है। महाराणा मेवाड़ ने चारभुजानाथ के मंदिर को व्यवस्थित कराया था। कहा जाता है कि एक बार मेवाड़ महाराणा उदयपुर से यहां दर्शन को आए लेकिन देर हो जाने से पुजारी देवा ने भगवान चारभुजा का शयन करा दिया और हमेशा महाराणा को दी जाने वाली भगवान की माला खुद पहन ली। इसी समय महाराणा वहां आ गए। माला में सफेद बाल देखकर पुजारी से पूछा कि क्या भगवान बूढे़ होने लगे है? पुजारी ने घबराते हुए हां कह दिया। महाराणा ने जांच का आदेश दे दिया। दूसरे दिन भगवान के केशों में से एक केश सफेद दिखाई दिया। इसे ऊपर से चिपकाया गया केश मानकर जब उसे उखाडा़ गया तो श्रीविग्रह (मूर्ति) से रक्त की बूंदें निकल पड़ी। इस तरह भक्त देवा की भगवान ने लाज रख दी। उसी रात्रि को महाराणा ने सपना देखा जिसमें भगवान ने कह दिया कि भविष्य में कोई भी महाराणा दर्शन के लिए गढ़बोर न आवे तब से पंरपरा का निर्वाह हो रहा है, यहां मेवाड़ महाराणा नहीं आते है। लेकिन महाराणा बनने से पूर्व युवराज के अधिकार से इस मंदिर पर आकर जरूर दर्शन करते है और फिर महाराणा की पदवी ली जाती है।
इसी गढ़बोर पर कभी रावत-राजपूत नाम से पहचान रखने वाले क्षत्रियों के पूर्वज विहलजी चौहान के अनूठे शौर्य पर मेवाड़ के शासक रावल जैतसी ने विहलजी को रावत का खिताब व गढ़बोर का राज्य इनाम में दिया था। आज भी विहलजी चौहान का दुर्ग चारभुजा से सेवंत्रीे जाने वाले मार्ग पर खण्डहर हालात में विद्यमान है।
गढ़बोर में चारभुजानाथ का प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की एकादशी (जलझुलनी एकादशी) को विशाल मेला लगता है। चारभुजा गढ़बोर में हर वर्ष लाखो श्रद्धालु दर्शन करने आते है। यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।
चारभुजा एक ऐतिहासिक एवं प्राचीन हिन्दू मन्दिर है जो भारतीय राज्य राजस्थान के राजसमंद ज़िले की कुम्भलगढ़ तहसील के गढब़ोर गांव में स्थित है।
उदयपुर से 112 और कुम्भलगढ़ से 32 कि.मी. की दूरी के लिए मेवाड़ का जाना – माना तीर्थ स्थल हैं, जहां चारभुजा जी की बड़ी ही पौराणिक चमत्कारी प्रतिमा हैं। मेवाड़ के सांवलियाजी मंदिर, केशरियानाथ मंदिर, एकलिंगनाथ मंदिर, श्रीनाथजी मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर व चारभुजानाथ मंदिर सुप्रसिद्ध है।
इस मन्दिर का निर्माण राजपूत शासक गंगदेव ने करवाया था। चारभुजा के शिलालेख के अनुसार सन् 1444ई. (वि.स. 1501) में खरवड़ शाखा के ठाकुर महिपाल व उसके पुत्र रावत लक्ष्मण ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। एक मन्दिर में मिले शिलालेख के अनुसार यहां इस क्षेत्र का नाम "बद्री" था जो कि बद्रीनाथ से मेल खाता है।
पौराणिक कथा के अनुसार श्रीकृष्ण भगवान ने उद्धव को हिमालय में तपस्या कर सद्गति प्राप्त करने का आदेश देते हुए स्वयं गौलोक जाने की इच्छा जाहिर की, तब उद्धव ने कहाकि मेरा तो उद्धार हो जाएगा पंरतु आपके परमभक्त पांडव व सुदामा तो आपके गौलोक जाने की खबर सुनकर प्राण त्याग देंगे। ऐसे में श्रीकृष्ण ने विश्वकर्मा से स्वयं व बलराम की मूर्तियां बनवाई, जिसे राजा इन्द्र को देकर कहा कि ये मूर्तियां पांडव युधिष्ठिर व सुदामा को सुपुर्द करके उन्हें कहना कि ये दोनों मूर्तियां मेरी है और मैं ही इनमें हूं। प्रेम से इन मूर्तियों का पूजन करते रहें, कलयुग में मेरे दर्शन व पूजा करते रहने से मैं मनुष्यों की इच्छा पूर्ण करूंगा। इन्द्र देवता ने श्रीकृष्ण की मूर्ति सुदामा को प्रदान की और पांडव व सुदामा इन मूर्तियों की पूजा करने लगे। वर्तमान में गढ़बोर में चारभुजा जी के नाम से स्थित प्रतिमा पांडवो द्वारा पूजी जाने वाली मूर्ति और सुदामा द्वारा पूजी जाने वाली मूर्ति सत्यनारायण के नाम से सेवंत्री गांव में स्थित है। कहा जाता है कि पांडवो ने हिमालय जाने से पूर्व मूर्ति को जलमग्न करके गए थे ताकि इसकी पवित्रता को कोई खंडित न कर सके।
गढ़बोर के तत्कालीन राजपूत शासक गंगदेव को चारभुजानाथ ने सपने में आकर आदेश दिया कि पानी में से निकालकर मूर्ति मंदिर बनाकर स्थापित करो। राजा ने ऐसा ही किया, उसने जल से प्राप्त मूर्ति को मंदिर में स्थापित करवा दी। कहा जाता है कि मुगलों के अत्याचारों को देखते हुए मूर्ति को कई बार जलमग्न रखा गया है। महाराणा मेवाड़ ने चारभुजानाथ के मंदिर को व्यवस्थित कराया था। कहा जाता है कि एक बार मेवाड़ महाराणा उदयपुर से यहां दर्शन को आए लेकिन देर हो जाने से पुजारी देवा ने भगवान चारभुजा का शयन करा दिया और हमेशा महाराणा को दी जाने वाली भगवान की माला खुद पहन ली। इसी समय महाराणा वहां आ गए। माला में सफेद बाल देखकर पुजारी से पूछा कि क्या भगवान बूढे़ होने लगे है? पुजारी ने घबराते हुए हां कह दिया। महाराणा ने जांच का आदेश दे दिया। दूसरे दिन भगवान के केशों में से एक केश सफेद दिखाई दिया। इसे ऊपर से चिपकाया गया केश मानकर जब उसे उखाडा़ गया तो श्रीविग्रह (मूर्ति) से रक्त की बूंदें निकल पड़ी। इस तरह भक्त देवा की भगवान ने लाज रख दी। उसी रात्रि को महाराणा ने सपना देखा जिसमें भगवान ने कह दिया कि भविष्य में कोई भी महाराणा दर्शन के लिए गढ़बोर न आवे तब से पंरपरा का निर्वाह हो रहा है, यहां मेवाड़ महाराणा नहीं आते है। लेकिन महाराणा बनने से पूर्व युवराज के अधिकार से इस मंदिर पर आकर जरूर दर्शन करते है और फिर महाराणा की पदवी ली जाती है।
इसी गढ़बोर पर कभी रावत-राजपूत नाम से पहचान रखने वाले क्षत्रियों के पूर्वज विहलजी चौहान के अनूठे शौर्य पर मेवाड़ के शासक रावल जैतसी ने विहलजी को रावत का खिताब व गढ़बोर का राज्य इनाम में दिया था। आज भी विहलजी चौहान का दुर्ग चारभुजा से सेवंत्रीे जाने वाले मार्ग पर खण्डहर हालात में विद्यमान है।
गढ़बोर में चारभुजानाथ का प्रतिवर्ष भाद्रपद मास की एकादशी (जलझुलनी एकादशी) को विशाल मेला लगता है। चारभुजा गढ़बोर में हर वर्ष लाखो श्रद्धालु दर्शन करने आते है। यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी होती है।
मेष - मन में अनावश्यक विचारों को ना पालें। कोई शारीरिक समस्या उभर सकती है। छोटे भाई-बहन के प्रति मन में कोई कड़वाहट न रखें। भरोसेमन्द मित्रों का सहयोग नहीं मिल पायेगा। लम्बी यात्रा को फिलहाल एक दिन टालना हितकर होगा।
वृषभ- आपकी संवादशैली से लोग प्रभावित रहेंगे। निवेश लाभकारी रहेगा। कारोबार में उत्तम लाभ मिलने से मन प्रसन्न रहेगा। जीवनसाथी आपकी बातों से प्रभावित होगा। घर के लोगों के बीच परस्पर प्रेम रहेगा।
मिथुन- जॉब में अनुकूलता रहेगी। सहकर्मी मित्र आपकी प्रशंसा कर सकते हैं। आपका स्वास्थ्य बहुत ही अच्छा रहेगा। मानसिक तनाव में कमी आयेगी। आर्थिक दृष्टि से लिये गये निर्णय आज सही सिद्ध होंगे। गुम हुयी कोई वस्तु आज मिल सकती है।
कर्क- प्रेम सम्बन्धों को लेकर विरक्ति का भाव रहेगा। सन्तान को लेकर मन में हर्ष होगा। बिना वजह लोगों से विवाद में न पड़ें। कोई बुरा सामाचार मिल सकता है। पेट में गैस की समस्या हो सकती है।
सिंह - खर्चों को नियन्त्रित करने का प्रयास करेंगे। स्वास्थ्य की समस्याओं का निराकरण होगा। सावधान रहते हुये कारोबारी निर्णय लें। मन की चंचलता पर नियन्त्रण रखें। आपकी लोकप्रियता में कमी आ सकती है।
कन्या - धन की स्थिति उत्तम रहेगी। भविष्य को लेकर नयी योजना बना सकते हैं। पारिवारिक माहौल बहुत ही उत्तम रहेगा। सेहत बहुत ही अच्छी रहने वाली है। रुके हुये प्रोजेक्ट्स को पुनर्व्यवस्थित करने का प्रयास करेंगे।
तुला - लम्बे समय से चली आ रही समस्या दूर होगी। चुनौतियों का अन्त होगा। सम्पत्ति सम्बन्धी मामलों का निदान होगा। धर्म और अध्यात्म से मन उचट सकता है। शिक्षा में रुकावट आ सकती है।
वृश्चिक - जोखिम भरे कार्यकलापों और किसी की गारंटी लेने से बचें। योग और ध्यान में रुचि ले सकते हैं। कारोबारी लोगों के प्रोडक्ट्स की माँग बाजार में बढ़ेगी। जॉब में काम कम होने से दिन आराम में बीतेगा। सम्पत्ति की खरीदी को लेकर जल्दबाजी न करें।
धनु - अपनी उत्तेजना पर नियन्त्रण रखें। जीवनसाथी के साथ बहसबाजी न करें। अवांछित लोगों के सम्पर्क से बचें। धन के लेन-देन में धोखाधड़ी हो सकती है। कारोबार में संघर्षपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ेगा।
मकर - शरीर में स्फूर्ति और ताजगी रहेगी। मित्रों के सहयोग से कोई नया व्यापार शुरू कर सकते हैं। आय में निश्चितता रहेगी। जीवनसाथी को करियर में शानदार अवसर मिलेगा। मानसिक चिन्ता कम होने से मन में सकारात्मकता आयेगी।
कुम्भ - आपके स्वभाव में आवेग और उद्विग्नता पनप सकती है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिन्ता रहेगी। सामाजिक कार्य में भाग लेंगे। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। पूरा दिन व्यस्तता में ही बिताना उचित होगा।
मीन - काम करने में मन नहीं लगेगा। परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जॉब के नये अवसर मिलने से मन हर्षयुक्त रहेगा। पुराने कार्यों को पूरा करने का प्रयास करें। रिश्तों में भावनाओं के साथ समझदारी को भी महत्व दें। करियर और दाम्पत्य जीवन में सन्तुलन रखें।
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मेष - मन में अनावश्यक विचारों को ना पालें। कोई शारीरिक समस्या उभर सकती है। छोटे भाई-बहन के प्रति मन में कोई कड़वाहट न रखें। भरोसेमन्द मित्रों का सहयोग नहीं मिल पायेगा। लम्बी यात्रा को फिलहाल एक दिन टालना हितकर होगा।
वृषभ- आपकी संवादशैली से लोग प्रभावित रहेंगे। निवेश लाभकारी रहेगा। कारोबार में उत्तम लाभ मिलने से मन प्रसन्न रहेगा। जीवनसाथी आपकी बातों से प्रभावित होगा। घर के लोगों के बीच परस्पर प्रेम रहेगा।
मिथुन- जॉब में अनुकूलता रहेगी। सहकर्मी मित्र आपकी प्रशंसा कर सकते हैं। आपका स्वास्थ्य बहुत ही अच्छा रहेगा। मानसिक तनाव में कमी आयेगी। आर्थिक दृष्टि से लिये गये निर्णय आज सही सिद्ध होंगे। गुम हुयी कोई वस्तु आज मिल सकती है।
कर्क- प्रेम सम्बन्धों को लेकर विरक्ति का भाव रहेगा। सन्तान को लेकर मन में हर्ष होगा। बिना वजह लोगों से विवाद में न पड़ें। कोई बुरा सामाचार मिल सकता है। पेट में गैस की समस्या हो सकती है।
सिंह - खर्चों को नियन्त्रित करने का प्रयास करेंगे। स्वास्थ्य की समस्याओं का निराकरण होगा। सावधान रहते हुये कारोबारी निर्णय लें। मन की चंचलता पर नियन्त्रण रखें। आपकी लोकप्रियता में कमी आ सकती है।
कन्या - धन की स्थिति उत्तम रहेगी। भविष्य को लेकर नयी योजना बना सकते हैं। पारिवारिक माहौल बहुत ही उत्तम रहेगा। सेहत बहुत ही अच्छी रहने वाली है। रुके हुये प्रोजेक्ट्स को पुनर्व्यवस्थित करने का प्रयास करेंगे।
तुला - लम्बे समय से चली आ रही समस्या दूर होगी। चुनौतियों का अन्त होगा। सम्पत्ति सम्बन्धी मामलों का निदान होगा। धर्म और अध्यात्म से मन उचट सकता है। शिक्षा में रुकावट आ सकती है।
वृश्चिक - जोखिम भरे कार्यकलापों और किसी की गारंटी लेने से बचें। योग और ध्यान में रुचि ले सकते हैं। कारोबारी लोगों के प्रोडक्ट्स की माँग बाजार में बढ़ेगी। जॉब में काम कम होने से दिन आराम में बीतेगा। सम्पत्ति की खरीदी को लेकर जल्दबाजी न करें।
धनु - अपनी उत्तेजना पर नियन्त्रण रखें। जीवनसाथी के साथ बहसबाजी न करें। अवांछित लोगों के सम्पर्क से बचें। धन के लेन-देन में धोखाधड़ी हो सकती है। कारोबार में संघर्षपूर्ण स्थितियों का सामना करना पड़ेगा।
मकर - शरीर में स्फूर्ति और ताजगी रहेगी। मित्रों के सहयोग से कोई नया व्यापार शुरू कर सकते हैं। आय में निश्चितता रहेगी। जीवनसाथी को करियर में शानदार अवसर मिलेगा। मानसिक चिन्ता कम होने से मन में सकारात्मकता आयेगी।
कुम्भ - आपके स्वभाव में आवेग और उद्विग्नता पनप सकती है। जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिन्ता रहेगी। सामाजिक कार्य में भाग लेंगे। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। पूरा दिन व्यस्तता में ही बिताना उचित होगा।
मीन - काम करने में मन नहीं लगेगा। परिवार के स्वास्थ्य का ध्यान रखें। जॉब के नये अवसर मिलने से मन हर्षयुक्त रहेगा। पुराने कार्यों को पूरा करने का प्रयास करें। रिश्तों में भावनाओं के साथ समझदारी को भी महत्व दें। करियर और दाम्पत्य जीवन में सन्तुलन रखें।
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