आध्यात्मिक जगत के महान धर्म प्रचारक स्वामी शेलेन्द्रानंद जी निष्काम योगी के रूप में सदैव पूजनीय रहेंगे : कामिनी भोजक "मैया"




 कोंच गया मठ के मठाधिस्वर स्वामी शेलेन्द्रानंद जी के निधन पर बीकानेर शाकद्वीपीय मग ब्राह्मण समाज ने दी श्रद्धांजलि
भाई बन्धु/बीकानेर। धर्म आध्यात्म के वट वृक्ष कुशल वक्ता धर्म प्रचारक कोंच गया आश्रम के मठाधीश्वर आदरणीय श्री शेलेन्द्रानंद जी का बैकुंठधाम 20 जून को हुआ। उनका निधन सम्पूर्ण भारत वर्ष की अपूरणीय क्षति है आज बीकानेर शाकद्वीपीय मग ब्राह्मण समाज संत शेलेन्द्रानंद सरस्वती जी के निधन पर श्रद्धांजलि सभा रख पुण्यात्मा के आत्मिक शांति की प्रार्थना की।
श्रद्धांजलि सभा में वरिष्ठ समाजसेवी श्रीलाल सेवग ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए अपने अध्यक्षीय उदबोधन में कहा कि स्वामी शेलेन्द्रानंद जी के निधन से ना सिर्फ मग समाज को बल्कि सम्पूर्ण भारत वर्ष के सनातनी परिवारों को अपूरणीय क्षति हुई है। उनके कार्य और विद्या से सनातन धर्म की महत्वता और मान्यताओं को नई पहंचान मिली।
भाई बन्धु चेरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष श्रीमती कामिनी भोजक 'मैयाÓ ने उनके जीवन पर विस्तारित प्रकाश डालते हुए कहा कि मगधर्माध्यक्ष आचार्य स्वामी शेलेन्द्रानंद सरस्वती जी का जन्म 26 दिसंबर 1955 को हुआ अपने सम्पूर्ण जीवन काल को धर्म के लिए समर्पित कर दिया।
सुमेरूपीठाधिस्वर जगत गुरु शंकराचार्य अंनत विभूषित स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज के कृपा पात्र रहते हुए मग ब्राह्मण समाज के धर्म अध्यक्ष रहते हुए स्वामी शेलेन्द्रानंद जी अद्भुत प्रतिभा के धनी थे, उनके वक्तव्य और वाणी के सम्मोहन में हर व्यक्ति उनका कायल था।  भारतीय दर्शन, तुलसी साहित्य, शैवागम और शाक्ततंत्र विषयों के मर्मज्ञ स्वामी जी ओजस्वी धर्म प्रचारक के रूप में सम्पूर्ण भारत वर्ष में पूजे जाते रहे उनका असमय चले जाना धर्म और सनातन जगत को बड़ी क्षति हुई है।
शाकद्वीपीय बन्धु ट्रस्ट के अध्यक्ष आर.के.शर्मा ने कहा कि सामाजिक एकता और सर्वधर्म समभाव के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व महर्षि दधीचि की तरह लुटा दिया उनके जीवन का एक मात्र ध्येय था सनातन धर्म की उचित व्याख्या और लोगो मे फेल रही विसंगतियों को दूर करना।
राजस्थान प्रांतीय शाकद्वीपीय मग ब्राह्मण महासभा के शिक्षा कोष संयोजक पुरुषोत्तम सेवक ने कहा कि टूटे और बिखरे सनातनी परिवारों को एक करना आदरणीय शेलेन्द्रानंद जी का कार्य था उनका असमय चले जाना सनातन धर्म को बड़ा आघात है।
मूंधाड़ा पंचायत ट्रस्ट के अध्यक्ष् दुर्गादत्त भोजक ने कहा कि भगवान कृष्ण के बताए मार्ग का अनुसरण करते हुए स्वामी कोशलानंद जी ने आध्यत्म जगत को कई नए सौपान प्रदान किये गया स्थित उनके आश्रम में जो भी जाता वो अपने जीवन के हर दुख को भूलकर जीवन को नए तरीके से जीने लगता यही कारण था कि सम्पूर्ण भारत वर्ष मेंउनके अनुयायियों  का जमावड़ा है।
वरिष्ठ समाजसेवी सत्यदेव शर्मा, अश्विनी कुमार शर्मा, श्रीमती सरोज देवी, नितिन वत्सस, स्वेता कौशिक, शायर देवी ने तेल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी।
राजस्थान शाकद्वीपीय ब्राह्मण विकास समिति, भिखमचंद फाउंडेशन, श्यामोजी ट्रस्ट, हंसावत तलाई ट्रस्ट ने दूरभाष से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।



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