भाई बन्धु/भाटी और शाही वंश सुप्रसिद्ध इतिहास लेखक हाकल ने पारसीक इतिहास के प्रथम खण्ड में लिखा है कि शालीवाहन के पिता यह महाराज गज का संग्राम ई सन 175 वर्ष पूर्व चतुर्थ अन्तियोक एफी फेन्स नामक राजा से खुरासान प्रदेश के कुंज और हरयु नामक गांव की सीमा पर हुआ था।
कुंज इस समय कजस्क (कुंजकिस्तान), हरयु (हरिपुर) इस समय हिरात नाम से प्रसिद्ध है। (देखिये ॥द्बह्यह्लशह्म्4 शद्घ क्कद्गह्म्ह्यद्बड्ड ङ्कशद्य १ क्कद्बश) जै.का ई. पंडित हरिदत व्यास टाड ने लिखा है अस्त्रखा नामक शहर में हिन्दुओं की बहुत बड़ी कोलोनी थी। प्लास ने इस क्षेत्र उन देवताओं कृष्ण ओर अन्य देवताओं का वर्णन किया है। ये लोग मूलतान से जाकर वहां बसे थे। हिन्दु व्यापारियों का यह वर्ग केस्पीयन सागर तक फैला है। इन्होंने इन्डोसकोम डोर ये एक कृष्ण मंदिर बनाया था।
साइथियों - साइथियों वालों का सर्वप्रथम निवास एरेक्सेस पर था। उसका जन्म एक कुवारी लड़की से हुआ था। जो पृथ्वी पुत्री थी जो कमर के उपर स्त्री तथा नीचे नागीन जैसी थी। बृहस्पति का उससे एक पुत्र हुआ। जिसका नाम साइथेस रखा गया। और उसी के नाम से देश ने नाम ग्रहण किया। साइथेस के दो पुत्र हुए। पलास और नगास। नाग या नाग जाति जिनका तातार वंशावली में नाम आया है। ये दोनों अपने महान कार्यों के लिये प्रसिद्ध हुए। उन्होंने अपने देश का विभाजन किया। पलास ने पैलियन (पालीन) और नैपीयन पड़ा। ये अपनी देश की सीमाओं को नील नदी तक ले गये। उन्होंने अपने देश की सीमाओं की पूर्वी सीमाओं तक बढ़ाया। साइथियन देश की सीमा कैस्पियन सागर से मोइतिस झील तक हो गई। यहां पर कई राजा हुए। जिसमें सकान (सकास) मैसाजेटाक (जेटे या जाट) एरि-एशियन एशिया के अश्य आदि कई जातियां विकसित हुई उन्होंन एशिरिया आदि को जीता। और उन्होंने एरेक्सेस लोगों को हटाकर सीथियन लोगों को बसाया। (कर्नल टाड राजपूत जातियों का इतिहास तीसरा भाग पृष्ठ संख्या 62)
सूर्य वंशी उपनिवेष
सूर्य वंशियों के उपनिवेष में उस समय इथोपिया सूर्य का देष या सूर्य उपासकों के नाम से प्रसिद्ध था। ऐत ऐतवार अदितवार शब्द ऐत से ही एथोपिया या इथोपिया हुआ है। जो आदित्य का सक्षिप्त रूप है। ऐजिप्त की सभवत: यह उत्पति है। राजपूतों में सूर्य पूजा का विशेष महत्त्व हैं। प्राचीन युग में सूर्य के सम्मान में अश्व का रक्त बहाते थे। (अश्व की बलि देते थे) ये लोग सप्ताह का प्रथम दिन सूर्य का समर्पित करते थे। जिसका नाम आदितवार जो आगे चलकर संकुचित होकर इतवार हो गया। जैसलमेर क्षेत्र के ग्रामीण इस दिन को इतवार कहते हैं। शनिवार को थावर कहते हैं।
थावर कीजिए थापना बुध किजे व्यापार
थावर शब्द का यही अर्थ है जो थोर शब्द का है। (कर्नल टॉड भाग 3 पृष्ठ 213 संदर्भ संकेत 12)
शाकद्वीप बनाम शकताई आधुनिक नाम सीकिया
सूर्य उपासकों का महत्त्वपूर्ण देश शाकद्वीप या शकद्वीप था। मिस्टर पिकर्टन ने शकताई या शाकताई को ढूंढ निकाला है। उनके अनुसंधान अनुसार वो पुराणों का शकद्वीप या शाकद्वीप वो नहीं मानते। मिस्टर पिकर्टन का कहना है कि शकताई अक्सन जैकस्रटेस के पास झरनों का प्रदेश शाकद्वीप है। जहां अर्वबर्मा नदी बहती है। शकाई से इसका नाम शकटाई पड़ा। (डी एन बिले एनटोटोज्यो) कर्नल टाड कहते हैं कि पहले मैं यह नही मानता था लेकिन अब नये अनुसंधान में इसे सच मानता हँू। चकाताई से ही शकताई नाम पड़ा। जिसको यूनानियो ने शकताई से सीकिया कर दिया। यही पुराणों का शाकद्वीप है।
प्राचीन सभी आर्यों का निकास इसी दिव्य देश शाकद्वीप से ही हुआ है। जो वेद विद्या के जानने वाले महर्षियों का जन्म स्थान और वर्ण व्यवस्था का मुख्य स्थान है। आर्यों के निवास के कारण ये क्षेत्र आर्यरण कहलाता था।
- नन्दकिशोर शर्मा, जैसलमेर। मो.: 9413865665
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