भाई बन्धु/सामाजिक व सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठन और व्यक्ति के लिए अगर सबसे मर्यादित आचरण है तो वह है उनकी काम करने की नीति और नियत। आप जब सामुहिक कार्यक्रम के अगुआ हो तो आपकी यह जिम्मेदारी और भी ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि उस वक्त आपकी काबलियित के साथ-साथ उन लोगों का विश्वास भी जुड़ जाता है जो आप पर उन्होंने जताया है इसलिए जब आप सार्वजनिक कार्य करे तो आपने गुणों में इनको हमेशा अटूट व स्पष्ट बनाए रखे। आप वर्तमान में कर्ता के साथ-साथ भविष्य के लिए इतिहास पुरुष भी बन जाओंगे जब लोग आपके नाम से आपके द्वारा किये गये कार्य से तत्कालीन समय में होने वाले कार्यों का गुणा भाग करेंगे। तब अगर आप अपने कार्य के प्रति जो आपने समाज के लिए किया है उसमें खरे साबित हुए तो तत्कालीन समय में काम करने वाली पीढ़ी को कोई नुकसान नहीं होगा। वहीं आप अपने काम में तनिक भी लापरवाह साबित हुए या आपकी नीति जो काम जो काम शुरू करने से पहले कुछ और भी काम की सफलता की पहली सीढ़ी चढ़ते ही आपकी नीति बदलने के साथ ही आपकी नीयत भी बदल गयी तो साकक हो जाइए, आप तो अपना काम करके खुश हो सकते है या इठला सकते है, लेकिन भविष्य की पीढ़ी के लिए सामाजिक व जीवन में मिलने वाले सहयोग से वंचित कर जाएंगे। क्योंकि इसलिए हमेशा सबक बनता है, अत: आप द्वारा किया गया कार्य आपकी पीढ़ी के लिए सबक बनेगा। वर्तमान में काम करने वाले उन तमाम महानुभवों के लिए यह नितांत आवश्यक है कि वे अपनी नीति और नियत दोनों को समाज हित में पारदर्शीयता बनाए रखें ताकि भविष्य सुनहरा हो।
जय भास्कर...
- नितिन वत्सस, सम्पादक भाई बन्धु
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