ज्योतिषाचार्य मांगीलाल भोजक आध्यात्म विप्र रत्न से सम्मानित


भाई बन्धु/बीकानेर। ईश्वर की आराधना के साथ ही कर्म की महत्ता को आत्मसात करने वाला व्यक्ति भक्ति साधना और कर्म के त्रिआयामी स्वरूप को साकार करता है यह उदगार फाउंडेशन की निदेशक कामिनी भोजक ने आज बीकानेर के ख्यातनाम ज्योतिषाचार्य और गायत्री उपासक मांगीलाल भोजक को प्रथम 'आध्यात्म विप्र रत्न' प्रदान करते हुए व्यक्त किये। कामिनी भोजक ने कहा कि मांगीलाल जी ने अपने जीवन काल मे कर्म और साधना के साथ जो मानव जीवन को जीने के लिए उमंग और आत्मविश्वास का जो रास्ता दिखलाया है वो एक सच्चा कर्मयोगी ही कर सकता है और मांगीलाल जी जैसे कर्मयोगी व्यक्तियों के कारण ही आज संसार आधुनिकता और आध्यात्म के बंधन में बंधा है आपके कारण ही धर्म और आध्यात्म की ध्वजा आज गगन में लहरा रही है आपका जीवन नव पीढ़ी के लिए प्रेरणास्पद बना है और आज आपको आध्यात्म विप्र रत्न प्रदान करते हुए संस्था खुद अपने आप को शोभग्यशाली मानती है। 

बीकानेर के प्रशिद्ध कर्मकांडी पंडित रामदेव सेवग की स्मृति में आज प्रथम आध्यात्म विप्र रत्न मांगीलाल जी को प्रदान करते हुए सचिव आर.के.शर्मा ने कहा कि एक सच्चा कर्मयोगी ना सिर्फ अपने घर और समाज रोशन करता है बल्कि उनके ओजस्विता से सम्पूर्ण मानव जीवन लाभान्वित होता है और आपके द्वारा फलादेश के माध्यम से और मार्गदर्शन से हजारों परिवारों को जीने की जो नई राह मिली है वो आपको एक महापुरुष के रूप में युगों तक शुशोभित करती रहेगी।
       विख्यात ज्योतिषचार्य और गायत्री उपासक पंडित मांगीलाल भोजक ने कहा कि गुण धर्म की तुलना के आधार पर तथ्य निकलते है और जो मनुष्य खासतौर से जो यग्योपवित धारक होता है। उसको नित्यकर्म से गायत्री मंत्र का जाप आवश्यक होता है। जिस तरह आज मनुष्य जीवित रहने के लिए अन्न का सेवन करता है। ठीक उसी तरह ब्राह्मण के लिए गायत्री मंत्र अन्न के समान है। जिसके बिना उसका जीवन व्यर्थ है।
       प्रवक्ता नितिन वत्सस ने मांगीलाल जी के जीवन पर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि अपने जीवन काल मे हर उस व्यक्ति को आपने जीवन के प्रति सकारात्मक नजरिया दिखाया जो कि अपने जीवन से हताश हो चुका था आपके अपने राजकीय सेवा काल मे भी आध्यात्म को जो नये आयाम दिये वे शोध का विषय हो सकते है नितिन वत्सस ने कहा कि आपका कार्य आपकी श्रेष्ठता आपके सिदान्त और कर्तव्यनिष्ठा सदैव अविस्मरणीय रहेंगे। आपके सृजन से आध्यात्म को नई दिशाएं मिलेगी यही आशा है।
   अभिनंदन पत्र का वाचन करते हुए पूर्व कर्मचारी नेता पुरषोत्तम सेवक ने कहा कि आध्यात्म और विज्ञान का समुचित समावेश ही जीवन का मूल आधार है जिसको हमे संतुलित रूप से अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए।
          आध्यात्म विप्र रत्न सम्मान कार्यक्रम का संचालन जितेंद्र भोजक ने करते हुए अंत में आभार ज्ञापित किया।
इस अवसर पर गौतम शर्मा, प्रसिद्ध गायकार प्रवेश सेवग, कांता देवी, सुलोचना देवी, खुश भोजक, अनपुरणा, संगीता और पूनम, ध्रुविका सहित गणमान्य जन मौजूद थे।


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