भाई बन्धु पत्रिका/बड़े-बड़े विद्वानों का कथन है कि शाकद्वीपीय ब्राह्मणगण बहुत ही प्राचीन काल से भारत में आकर बसते चले आए है। उनका भारत में अनेक बार आगमन हुआ है। सर्वप्रथम उस समय आए थे जबकि भानु को पुत्र इक्ष्वाकु राजा ने अपने प्राचीन निवास स्थान को छोड़ अयोध्या में आकर अपना राज्य स्थापित किया। इक्ष्वाकु राजा शाकद्वीपीय क्षत्रिय थे। इनके पूज्य गुरु वशिष्ठ थे। इक्ष्वाकु के साथ शाकद्वीप से आये थे। ऐसा इतिहासकारों का कथन है। सूर्य के संतान मनु के वंशधर इक्षुवाकुवशीय राजागण इसी मरू में बसे हुए शाकद्वीप में रहते थे। इसी से वे शाक्य या शाकद्वीपीय क्षत्रिय कहे जाते थे। उनके गुरु पुरोहित शाकद्वीप में रहने वाले शाकद्वीपीय ब्राह्मण थे। बौद्ध धर्म के जन्मदाता शाक्यसिंह शाकद्वीपीय क्षत्रिय थे। वे इक्ष्वाकु वंशज थे। शाकद्वीप के अन्तर्गत इक्षु नदी (सरयु नदी) के तीर पर ही शाक्य या इक्ष्वाकु वंशीय राजाओं का आदि निवास स्थान था अयोध्या काण्ड का 68वां सर्ग :-
पैतृ पैताम ही पुण्या तेरू क्षुमती नदीम्।
अर्वेक्ष्याक्षलिमानांश्व ब्राह्मणों वेद परगान्।।
ययु र्मध्येन वाहलिकान् सुदामानानय्न्च पर्ववतम्।
विष्णो: पदं प्रेक्ष्यमाणां विपाषाज्ञापि शाल्मलीम्।।
स्पष्ट है कि पहिले इसी मध्य देशस्थ में इक्ष्वाकु वंशीय राजागण रहते थे। वहीं से अयोध्या आकर बसे और उस नगर का नाम शाकद्वीप से आने के कारण ''शाकेत'' रखा।
जम्बूद्वीप में अन्य ब्राह्मण रहते थे। उनमें पाँच गौड़ और पाँच द्रविड़ दो भागों में विभाजित थे। जो अपने-अपने राज्यों के नाम से प्रसिद्ध थे।
5 गौड़ :- सारस्वत, कनोजिया, वत्कल, मैथुल, कान्य कुन्ज।
5 द्राविड़ :- मराठा, तैलंग, गौतम, अगर संपत, भारद्वाज।
तेज कवि जैसलमेर (संवत् 1971) पद्यात्मक
कवित मग सूर्य प्रकाश -
विधना की सृष्टि आदि ब्राहा्रण दस जाति के,
गौड़ पंच द्राविड़ की शाखा सब न्यारी हैं।
और भी अनेकों विध जगत में रचाये द्विज,
भिन्न-भिन्न जाति कृत सारे वृतधारी हैं।।
या तेें सब श्रेष्ठ विप्रजातिन में शाकद्वीपी,
रचे सूर्यनारायण स्वता अंग मायां सों।
जैसे तुरि रूप से कुमार अश्विनी के रचि तापि शनि देव दोन रचे भानु छाया सों।।
वहां जितने ब्राह्मणादि आये है वे सभी शाकद्वीपीय है। पर्याप्त वर्ष व्यतीत होने से अन्य ब्राह्मण अपने निवास स्थान शाक द्वीप को भूल गए। एवम् अपने गोत्र ग्राम, पूर्वजों के नाम से प्रसिद्ध हो गए। वास्तव में ब्राह्मण जाति सब एक ही है।
- नन्दकिशोर शर्मा, जैसलमेर। मो.: 9413865665
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