भीनमाल (भाई बन्धु पत्रिका)। किसी भी कवि या लेखक को, खासतौर से नए लेखक को यह बुनियादी बात समझनी चाहिए कि शब्द क्या कहते हैं, इसे सुनने की कोशिश करनी चाहिए। यह यह बात प्रख्यात कवि और आलोचक डॉ नंदकिशोर आचार्य ने कही। वे अंतर प्रांतीय कुमार साहित्य परिषद की ओर से शनिवार को गांधी भवन में आयोजित डॉ. रामप्रसाद दाधीच प्रसाद साहित्य सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उदबोधन दे रहे थे। समारोह में भीनमाल की युवा कवयित्री प्रतिभा शर्मा को उनके काव्य संग्रह मौन सोनचिरी पर 'डॉ. रामप्रसाद दाधीच प्रसाद साहित्य सम्मान-2019' से सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि नंदकिशोर आचार्य ने उन्हें प्रशस्ति पत्र, इक्यावन सौ रुपए के चेक, प्रो कौशलनाथ उपाध्याय ने श्रीफल भेंट किया और डॉ पद्मजा शर्मा ने शॉल ओढ़ाई।
डॉ. आचार्य ने कहा कि हर कविता संग्रह एक यात्रांत होता है। उसके बाद किसी कवि को या कलाकार को चाहिए कि वह कुछ नया रचे। उसे अपने को ही निरंतर तोड़ते रहना होता है। आचार्य मोहनकृष्ण बोहरा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आलोचना किसी रचना की साहित्यिक स्वीकृति है और पुरस्कार उसकी सामाजिक स्वीकृति है। जो लोग रचना नहीं पढ़ते,एक तरह से पुरस्कार और इस तरह के आयोजन ऐसे अवसर होते हैं कि उन लोगों का ध्यान भी रचनाकार और रचना की तरफ आकर्षित होता है। इस बहाने वे साहित्य के संपर्क में आते हैं।
पत्र वाचन में दशरथ सोलंकी ने कहा कि प्रतिभा शर्मा की कविताएं सोनचिरी के स्वरूप में संघर्ष, अंतद्र्वंद्व और जिजीविषा मुखर करती हैं। ये कविताएं प्राप्ति की प्रत्याशा से अधिक अवदान की आकांक्षा से ओतप्रोत हैं। इस अवसर पर डॉ रामप्रसाद दाधीच अस्वस्थ होने के बावजूद आए और प्रतिभा शर्मा को बधाई दी व सभी का आभार व्यक्त किया। प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया। अतिथियों का स्वागत डॉ भावेन्द्र शरद जैन ने किया । चंद्रभान विश्नोई ने अतिथियों का परिचय दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. हरीदास व्यास ने किया। अंत में धर्मेश रूठिया ने आभार व्यक्त किया। समारोह में कई साहित्यकार मौजूद थे।
यह यात्रा है मेरे भीतर की
डॉ. रामप्रसाद दाधीच साहित्य सम्मान से सम्मानित प्रतिभा शर्मा ने कहा कि मेरा मौन मेरी चुप्पी नहीं है, यह यात्रा है मेरे भीतर की। सोनचिरी के सुनहरे पंख प्रतीक हैं उसकी अभिलाषाओं के । सोनचिरी प्रतिनिधित्व करती है हर उस स्त्री का जो जुझारू है। जो विकट परिस्थितियों का सामना बड़ी दिलेरी से करती है और हताश होने पर भी रुकती नहीं। चलती रहती है, उड़ती रहती है। जीवन में बहुत से घटनाक्रम ऐसे घटित होते हैं जो मानव हृदय को संवेदनाओं से भर देते हैं। बड़ा संघर्षपूर्ण जीवन रहा, झकझोर कर रख देने वाली परिस्थितियों से सामना रहा। द्रवित हृदय शब्दों का सहारा लेता है। प्रतिभा ने सोनचिरी,पेड़ के हिस्से की विशालता,उपक्रम और बीड़ी अब जिगर में सुलगती है आदि कविताओं का पाठ भी किया।
Comments
Post a Comment
if you have any doubts please let me know