हमने पीछे शाकद्वीपीय समाज का इतिहास, भगवान सूर्य का आविर्भाव और सूर्यवंशियों और चन्द्रवंशियों के इतिहास में शाकद्वीपीय ब्राह्मणों के बारे पढ़ा है। और अब हम भविष्य पुराण और अन्य पुराणों द्वारा शाकद्वीप के बारे में जानेंगे।
पुराणों का शाकद्वीप कहा - शाकद्वीपय ब्राह्मण इतिहास खण्ड पांच अध्याय छ: शा.ेब्राह्मण विषयक अन्य लेख मगदर्पण में पण्डित श्री हुकमसिंह जी महाराज, लौणार खानदेश ने भविष्य पुराण ब्राह्मण पर्व अ. 117 श्लोक 11-35 संदर्भ में लिखा है कि शाकद्वीप कहा है? शाकद्वीप के बारे में पारम्पारिक पुराणों के संदर्भ देकर लिखा है कि मद मागवत के पांचवे स्कंध अ. नव में सूर्य और प्रियव्रत की कथा का वर्णन है। प्रियव्रत ने सूर्य के समान सूर्य के साथ ही सात बार सूर्य की परिक्रमा की। ब्रह्माजी के कहने पर प्रियव्रत ने आठवी परिक्रमा नहीं की। विचार बदल गया। उन परिक्रमा से सात लकीरें पहिये बन गए। वे ही सातों सागर हो गए। इन सागरों के बीच पृथ्वी से 7 द्वीप बन गए। समुद्र के बाद एक द्वीप है। द्वीप के बाद एक समुद्र है।। 30।। प्रियव्रत ने अपने सातों पुत्रों को 1-1 द्वीप का राजा बनाया।। 31।। स्कंध अध्याय 2 केवल जंबू द्वीप के 9 खंड है। शेष में 7-7 खंड और पुष्कर द्वीप के दो खंड है।
जिस पृथ्वी खंड को चारो ओर समुद्र घिरे हुए है उनका नाम ''भद्राश्रव'' है। जो आजकल का ''अफ्रीका'' है। जो भाग सुमेररू पर्वत के निकट है वह इलावृत खंड है। अर्थात ''किंपुरुष'' अमेरिका। मध्य स्थल को मेरू कहते हैं। केतुमाल (यूरोप) भारत व उतर कुरू प्रदेश है। पहले भारत को ''एक वर्ष'' रूसतातारई को उतर कुरु प्रदेश एवं ब्रह्मा, चीन आदि को ''किरात'' देश कहते थे। शाकद्वीप तो भागवत मेें जम्बूद्वीप छट्टा माना गया है। नारदीय पुराण, वामन पुराण, कूर्म पुराण में छट्टा माना गया है। महाभारत, पदम पुराण, स्कंध पुराण, मत्स्य पुराण, साम्ब पुराण में दूसरा माना गया है। इन पुराणों में द्वीपों, समुद्रों, राजाओं के नाम मतभेद हैं। साम्ब पुराण में ''प्लक्ष'' का नाम नहीं। गोमेध नाम आया है। भविष्य पुराण ब्राह्मण पर्व अ. 131 में शाकद्वीप छ्टटा माना गया है। अर्थात लवण समुद्र के पार क्षीर समुद्र से घिरा हुआ जंबूद्वीप से अलग शाकद्वीप का वर्णन हैं पर्वतों के नाम भी उल्लेखित हैं। एवम नदियों के भी नाम हैं। यह प्रमाणित है कि जम्बूद्वीप से दूसरा ही शाकद्वीप है। क्षीर समुद्र इसे घेरे हुए हैं। लवण समुद्र से दूसरा क्षीर (दूध) के समान श्वेत बर्फ होने से इसे क्षीर समुद्र मानना कोई हरकत नहीं। क्षीर समुद्र के पार बर्फ समुद्र से घिरा हुआ शाकद्वीप है। इसे धु्रव प्रदेष भी कहते हैं। जो आर्यो का मुख्य स्थान है।
प्राचीन सभी आर्योआर्यो का निकास इसी दिव्य देष शाकद्वीप से ही हुआ है। जो वेद विद्या के जानने वाले महर्षियों का जन्म स्थान और वर्ण व्यवस्था का मुख्य स्थान है । सभवत: इसी स्थान को आर्यारण कहते थे।
शाकद्वीप के सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों की अवधारणा - हमारे पूर्वज इतिहासकार, लेखक, कवि, पुराणवेता, ऋषि-मुनी, धर्म, कला, इतिहास, संस्कृति, भौगोलिक एवं राजनैतिक संदर्भों, यात्रा-वृतांतों और व्यापारिक मार्गों से चलकर अपने-अपने प्रमाणों और कल्पनाओं के आधार पर विभिन्न स्थानों में शाकद्वीपीय स्थित होने का अनुमान लगाते हैं। हमारे देष में ही नहीं सारे विश्व का प्राकृतिक भागौलिक परिवर्तन समय-समय पर होते रहे हैं। इस कारण देशों में कई राजवंश नष्ट हुवे तथा कई नये राजवंशों का उदय हुआ। इस कारण स्थान, नगर, देश, राज्यों, द्वीपों के नाम भी बदलते रहते है। हमारे देश भारत का नाम आर्यवत फिर भारतवर्ष इन्दुस्तान इण्डिया फिर हिन्दुस्तान कहलाया है। आज प्राचीन नामों से लोग उन क्षेत्रों को नहीं जानते हैं। प्राचीन काल में भद्राश्रव जो आज का अफरीका है उसे अफरीका नाम से जानते हैं। इलावृत (इलाम) द्वीपों में बने छोटे-छोटे देश इरान ईराक देशों के नाम से लोग जानते है, इलावृत को भूल गये हैं। इन क्षेत्रों में नये धर्म और नये विचारों से नयी संस्कृतियों का विकास हुआ। जो अलग-अलग नामों से प्रसिद्ध हुई। पारसियों की संस्कृति पारसी या फारसी कहलाती है। उसी देश को खुराशान देश भी कहते हैं। रूसतातारी देश विशाल सोवियत देश नामकरण होने से पहले एक तातारी देश था। तातारी मंगोल आदि आर्य जातियां हैं और उनका सम्बन्ध जैसलमेर के चन्द्रवंशी, इन्दुवंशी यादवों के साथ जुड़ा है। इसके सम्बन्ध में उचित स्थानों में चर्चा की है। प्रमाण दिये हैं तथा अपना अनुमान व कल्पना का सहारा भी लिया है। कुजिकस्तान कुंजनगर जो कृष्ण के नाम कुंज बिहारी से सम्बन्ध रखता है। हरिपुर भगवान सूर्य के नाम से सम्बन्ध रखता है। इसी तरह सीरीया इथोपीया इजिप्ट मिश्र आदि देशों का सम्बन्ध सूर्य से रहा है। यहुदी यूची जादुन (पठान) आदि का सम्बन्ध चन्द्रवंशियों के निवासियों से हैं। यहां की भाषा, संस्कृति, कला, संगीत, धर्म, मंदिर, देवस्थानों से सम्बन्ध रखने वाले अनेक साक्ष्य आज भी इन क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं। इसलिये हमारे बन्धुओं को यह जानकारी देना चाहते हैं कि हमारे सात द्वीप और सात समुन्द्र थे। उस क्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र में शाकद्वीप विशाल द्वीप था। आधुनिक इतिहासकारों के अनुसार शाकद्वीप को आज सकताई या सिकीया कहा जाता है। उजिकस्तान, रूस, मगोल, साइबेरिया रूसतातारी इरान ईराक आदि क्षेत्रों में अनेक भूखण्ड पर बसे नगरों के विशाल क्षेत्र का नाम शाकद्वीप था। शाक वृक्षों की बहुलता के कारण इसे शाक$द्वीप शाकद्वीप कहते थे। शाकद्वीप के निवासी शाकद्वीपी कहलाते थे। इस द्वीप में चार वर्ण के लोग रहते थे। जिसमें ब्राह्मणों को मग, क्षत्रियों को मागध, वैश्यों का मानस और शुद्रों को मन्दंग कहते हैं। (विष्णु पुराण अध्याय-4)
इलावृत - सूर्य के पुत्र श्राद्धदेव की पुत्री का नाम इला था। उसका प्रकाट्य वशिष्ठ द्वारा अपने यजमान श्राद्धदेव की मनोकामना पूर्ण करने हेतु यज्ञ कुण्ड से प्रकट किया था। वषिष्ठ जी अधिष्ठायक (होता) की तनिक असाधावनी से पुत्र के स्थान पर इला नाम की कन्या प्रकट हुई। इस इला को वशिष्ठ ने अपने तपोबल से पुरुष (सुद्यम्न) नाम से परिवर्तित कर दिया। लेकिन भावीवश इला सुद्यम्न पुन: मूल रूप में इला के रूप में परिवर्तित हो गई। इसकी कथा उपर दी गई है।
पुराणों में शाकद्वीपी दूसरे नम्बर पर लिखा है प्रथम अफरीका जो चारों तरफ से समुद्र से घिरा पड़ा है दूसरा इलावृत है। शाकद्वीपी रूसतातारी, जम्बूद्वीप आदि मुख्य रूप से परस्पर जुड़े हुए थे। देशकाल ओर परिस्थिति के अनुसार भौगोलिक और राजनैतिक परिवर्तन होते रहे हैं। इस कारण भौगोलिक सीमा स्थिति नामकरण भी बदले हैं। छोटे-मोटे देश, नगर सब ओर विशाल साम्राज्य बने हैं। रूसतातारियों का सम्बन्ध चन्द्रवंशियों जम्बूद्वीपीयों से हैं। जिस पर हम आगे चर्चा करेंगे। जिस क्षीर सागर की उपमा पुराणों में दी गई हैं वह क्षीर सागर साइबेरिया बर्फीला प्रदेश है। जो इसी भूमि पर है।
शाकद्वीप के सम्बन्ध में विद्वानो के मत - प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल जेम्स टाड ने लिखा है कि राजस्थान के इतिहास में लिखा है ओवरसीज व 1द्गह्म्ह्य में नदी पर रहते थे उनकी मूल उत्पति इला अथवा पृथ्वी से हुई है। इला का उपर भाग स्त्री का तथा नीचे का भाग नागिन का था। जुपीटर (बृहस्पति) से उनका एक बेटा हुआ उसका नाम सीथीस था जो सीथी से बना था सीथी। इस सीथिया शाकद्वीप का टॉड के अनुसार स्वामी बना।
आज भी शाकद्वीप को वर्तमान इराक परसिया व ऐशिया माइनर नामक प्रदेश भूमध्य सागर तथा काला सागर को घेरता हुआ प्रतीत होता है। मार्कण्डे पुराण में शाकद्वीपीय नदियों का वर्णन भी लिखा है। इक्षु नदी के सम्बन्ध में लिखा है शाकद्वीप में इक्ष्यु नदी चलती थी। मत्स्य पुराण में अध्याय 113 के अनुसार ये इक्ष्यु नदी हिमालय से निकलकर केस्पीयन सागर में जाकर मिलती है। इससे भी सिद्ध होता है कि भारत से मिला हुआ शाकद्वीप है। अत: यह प्रमाणित होता है कि आधुनिक अरब परसिया इरान (पारस) ऐशिया माइनर तथा उतर में केस्पीयन सागर तक फेला महाप्रदेश ही शाकद्वीप है। इसमें साइबेरिया, कीनिया, हंगरी, कुछ जर्मनीं का उतरांश, स्वीडन, नार्वे आदि भी शामिल किया है। यह समस्त क्षेत्र स्कीदिया और शासिदियों लजीपं नाम से प्रसिद्ध था। आधुनिक इतिहासकारो ने शाकद्वीप को सीकिया माना है।
- नन्द किशोर शर्मा, जैसलमेर।
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