भाई बन्धु, चेन्नई। सूर्य भवन में सूर्य भगवान प्राण प्रतिष्ठा 30 जनवरी से सूर्य सप्तमी महोत्सव 1 फरवरी को हर्षोल्लास से मनाया गया। इससे पूर्व 27 जनवरी को सूर्य भवन के निचले तल में सूर्य मंदिर मकराना के पत्थर से निर्मित सूर्य भगवान सहित सभी प्रतिमाएं का प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम निर्विध्न सम्म्पन हुआ। 28 जनवरी को प्रात: 7.30 बजेे सूर्य भगवान प्राण प्रतिष्ठा निमित्त समाज की महिला मंडल द्वारा कलश यात्रा व सूर्य भगवान की मूर्ति सहित सभी देवताओं की रथ यात्रा समाज के बन्धुओं द्वारा दक्षिण भारतीय ढोल नगाड़ों के साथ चेन्नई साहूकार पेट में निकाली गई। 28 व 29 जनवरी को सूर्य भगवान प्राण प्रतिष्ठा संबधित विभिन्न पूजन हुए। 30 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में विधिवत सूर्य भगवान संध्या संज्ञा गणपति की प्राण प्रतिष्ठा हुई।1 फरवरी को सूर्य सप्तमी महोत्सव समाज के बन्धुओं ने धूमधाम से मनाया। प्रात: 9.20 बजे प्रथम दीप प्रज्वलित कर पूजा कर्मकाण्ड वैदिक ध्वनि मन्त्रों से प्रारंभ हुआ। इसके बाद गणेश स्थापना कलश स्थापना सूर्य अर्चना निमित हवन (यज्ञ) शुरू हुआ। पूर्णाहूति मध्याह्न 1.30 को हुई। इसी शुभ वेला में सूर्य सप्तमी की बोलियाँ लेने वाले लाभार्थियों का मंच पर सम्मान गणमान्यों द्वारा करवाया गया। कार्यक्रम में समाज के सेंकड़ों परिवारों ने हिस्सा लिया हवन पूर्णाहूूति-सूर्य नारायण आरती के पश्चात मध्याह्न प्रसादी रखी गई।
भाई बन्धु, चेन्नई। सूर्य भवन में सूर्य भगवान प्राण प्रतिष्ठा 30 जनवरी से सूर्य सप्तमी महोत्सव 1 फरवरी को हर्षोल्लास से मनाया गया। इससे पूर्व 27 जनवरी को सूर्य भवन के निचले तल में सूर्य मंदिर मकराना के पत्थर से निर्मित सूर्य भगवान सहित सभी प्रतिमाएं का प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम निर्विध्न सम्म्पन हुआ। 28 जनवरी को प्रात: 7.30 बजेे सूर्य भगवान प्राण प्रतिष्ठा निमित्त समाज की महिला मंडल द्वारा कलश यात्रा व सूर्य भगवान की मूर्ति सहित सभी देवताओं की रथ यात्रा समाज के बन्धुओं द्वारा दक्षिण भारतीय ढोल नगाड़ों के साथ चेन्नई साहूकार पेट में निकाली गई। 28 व 29 जनवरी को सूर्य भगवान प्राण प्रतिष्ठा संबधित विभिन्न पूजन हुए। 30 जनवरी को अभिजीत मुहूर्त में विधिवत सूर्य भगवान संध्या संज्ञा गणपति की प्राण प्रतिष्ठा हुई।1 फरवरी को सूर्य सप्तमी महोत्सव समाज के बन्धुओं ने धूमधाम से मनाया। प्रात: 9.20 बजे प्रथम दीप प्रज्वलित कर पूजा कर्मकाण्ड वैदिक ध्वनि मन्त्रों से प्रारंभ हुआ। इसके बाद गणेश स्थापना कलश स्थापना सूर्य अर्चना निमित हवन (यज्ञ) शुरू हुआ। पूर्णाहूति मध्याह्न 1.30 को हुई। इसी शुभ वेला में सूर्य सप्तमी की बोलियाँ लेने वाले लाभार्थियों का मंच पर सम्मान गणमान्यों द्वारा करवाया गया। कार्यक्रम में समाज के सेंकड़ों परिवारों ने हिस्सा लिया हवन पूर्णाहूूति-सूर्य नारायण आरती के पश्चात मध्याह्न प्रसादी रखी गई।
Comments
Post a Comment
if you have any doubts please let me know