कल्याण फाउंडेशन ने बलिदान दिवस पर आयोजित की विचार गोष्ठी
बीकानेर (नितिन वत्सस)। वीरता और नारी शक्ति की परिचायक वीरांगना झांसी की रानी महारानी लक्ष्मी बाई के बलिदान दिवस पर आज कल्याण फाउंडेशन द्वारा रानी बाजार स्थित क्षेत्रीय कार्यालय में पुष्पांजलि और विचार गोश्ठी आयोजित की। विचार गोष्ठी पर बोलते हुए कल्याण फाउंडेशन की निदेशक कामिनी भोजक ने लक्ष्मी बाई के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिलाओं की ताकत के रूप में और एक आदर्श वीरांगना के रूप में झांसी कीं रानी लक्ष्मी बाई सदैव पूजनीय रहेगी। कर्तव्य पालन की अगर ठान ली जाए तो कोई भी प्रलोभन उसको डिगा नहीं सकता और झांसी की रानी आत्मविश्वाशी, स्वाभिमानी और धर्मनिष्ठ थी रानी लक्ष्मी बाई। कामिनी भोजक ने उनके झांसी को बचाने के लिए लगातार सात दिन तक किये संघर्ष पर बताते हुए कहा कि किस तरह छोटी सी शस्त्र सेना के बल पर अंग्रेजो के दांत खट्टे करने कार्य किया।
भाई बन्धु सम्पादक व शहर कांग्रेस प्रवक्ता नितिन वत्सस ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए कहा कि एक अदम्य साहसी महिला और अपने देश को बचाने के लिए झांसी की रानी लक्ष्मी बाई सदैव महिला शक्ति की परिचायक रहेगी।
बीएसएनएल के पूर्व अधिकारी महेश भोजक ने कहा कि में अपनी झांसी नही जाने दूंगी चाहे प्राणों की आहुति देनी पड़े,और अंग्रेजी हुक्कूमत को अपनी शक्ति का परिचय देते हुए पाव पीछे लेने पर मजबूर कर दिया।
एडवेंचर फाउंडेशन के सचिव आर.के.शर्मा ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुये कहा कि अंग्रेजों की राज्य अधिग्रहण की लिप्सा के कारण झांसी की रानी ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ नवाबो को इकठ्ठा किया और उसी एकीकरण की नीति के चलते अंग्रेजो को मुँह की खानी पड़ी और लक्ष्मी बाई की कुसल रणनीति के आगे झुकना पड़ा।
पुष्पांजलि अर्पित करते हुए विचार गोष्ठी को दुर्गादत्त भोजक, प्रहलाद दास सेवग, शंकर सेवग, सत्यदेव शर्मा, जगदीश सेवग, खुश भोजक, जितेंद्र भोजक, नरेश गुरेजा, आदि ने संबोधित करते हुए महारानी लक्ष्मी बाई के बलिदान को याद किया और उनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही।
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